यूपी के इस थाने में 21 साल में दर्ज हुई सिर्फ दो एफआईआर

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हवालात में आज तक बंद न हुआ कोई
एटा। यूपी के एटा में एक थाना ऐसा भी है जहां पिछले 21 साल में सिर्फ दो एफआईआर दर्ज हुई। इनमें से भी एक मामले की जांच शिफ्ट हो गई। थाने की हवालात में आज तक कोई बंद नहीं हुआ। थाने पर थाना प्रभारी के अलावा कांस्‍टेबल और हेड कांस्‍टेबल मिलाकर 23 पुलिसकर्मी तैनात हैं लेकिन थाने की जीडी में भी सिर्फ आमद और रवानगी ही दर्ज की जाती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्‍या ऐसा सच में सकता है? क्‍या वाकई ऐसा कोई थाना है? जी हां, यह बिल्कुल सही है, एटा का जीआरपी थाना ऐसा ही है। यह थाना 21 साल पहले एक अगस्‍त 2001 को स्‍थापित हुआ था। तब इसका उद्घाटन आईपीएस अखिल कुमार ने किया था। पहले यह केवल रिपोर्टिंग चौकी थी। बाद में थाना बन गया लेकिन थाने के पास अपना भवन भी नहीं है। रेलवे क्वार्टर में ही इसे चलाया जाता है। उसे भी अब आवास में तब्दील कर दिया गया है। एक कमरे में आमद-रवानगी का काम होता है। हवालात अब रिकॉर्ड रूम है। थाना बनने के बाद से यहां सिर्फ दो ही मुकदमे दर्ज हुए हैं।
थाने पर तैनात पुलिसकर्मियों में से दो कांस्टेबल टूंडला से एटा तक आने वाली ट्रेन की सुरक्षा में तैनात हैं। थाना में बने हवालात में आज तक कोई बंद नहीं हुआ। थाने की जीडी में भी सिर्फ आमद और रवानगी ही दर्ज की जाती है।
थाना जीआरपी पर 22 अप्रैल 2016 में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। शहर के व्यापारी संजीव कुमार जैन की ट्रेन में हत्याकर शव पटरी के किनारे फेंक दिया गया। संजीव के परिजनों के मुताबिक इस मुकदमे में एफआर लग गई। इस घटना का खुलासा नहीं हो सका।
वहीं 19 जून 2019 को दूसरा मुकदमा रेलवे फाटक कुसवा पर तैनात गेटमैन की ओर से मारपीट का दर्ज कराया गया था। इसमें कुसवा निवासी सुखवीर, अनिल, वीरेश, शीलेद्र, रामजीत, कन्हैई, मुन्नालाल को मारपीट करने में नामजद किया गया था।

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