आजमगढ़: लाइफलाइन हॉस्पिटल में बांग्लादेश से आए मरीज का हुआ जटिल ऑपरेशन

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न्यूरो सर्जन डा० अनूप यादव की टीम ने 14 घंटे का अथक प्रयास कर सफलता पाई
मरीज के दिमाग में बन गया था खून पहुंचाने वाली नसों का असामान्य गुच्छा
आजमगढ़। न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की टीम द्वारा इस बार ब्रेन के जटिलतम बीमारियों में से एक आर्टेरियोवेनस मालफॉर्मेशन नामक बीमारी से ग्रसित बांग्लादेश के मरीज का सफल इलाज करके लाइफ लाइन हॉस्पिटल ने अपनी टीम की काबिलियत को विश्व पटल पर साबित किया गया है , हसन जमाँ नाम का यह मरीज 14 घंटे के सफल ऑपरेशन के बाद अब पूरी तरह से स्वस्थ है आपको बता दें कि बांग्लादेश के नौगांव जनपद के रहने वाले हसून जमाल को वर्ष 2019 में मिर्गी का एक झटका आया जिसके बाद बांग्लादेश के अस्पताल में उनकी जांच हुई जहां जांच के बाद यह पता चला कि इनके दिमाग के दाहिने हिस्से में एक बड़ा सा खून की नसों का अनियंत्रित गुच्छा है जो उनके मिर्गी के झटके का कारण है ।

यह बीमारी काफी जटिल बीमारी मानी जाती है जिसका इलाज सर्जरी होता है ऑपरेशन की जटिलता इससे बढ़ जाती है क्योंकि जो खून की नस ब्रेन के सामान्य हिस्से को खून प्रदान करती है और इनके सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करती हैं वही खून की नस इसको बनाने में मदद कर देती है जिसके कारण अगर इस गुच्छे को निकालने की कोशिश की जाती है तो मरीज को ब्रेन हेमरेज लकवा जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जो कि उसके लिए एक बड़ा खतरा बन जाती है । परिवार के लोगों ने बांग्लादेश के साथ भारत के भी कई अस्पतालों में इस बीमारी के उपचार के बारे में परामर्श लिया।
इसी बीच उनके एक पारिवारिक मित्र ने उन्हें आजमगढ़ स्थित लाइफलाइन हॉस्पिटल एवं डॉ अनूप कुमार सिंह के बारे में सूचित किया , हसून जमा ने वीजा की प्रक्रिया के साथ आजमगढ़ लाइफलाइन हॉस्पिटल में मिले यहां पर संतुष्ट होने के बाद वह वापस बांग्लादेश गए और फिर पुनः 7 सितम्बर को भर्ती हुए।

लाइफ लाइन हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉक्टर अनूप कुमार सिंह, डॉक्टर गायत्री कुमारी, न्यूरो सर्जन डॉक्टर आकाश एवं डॉक्टर अजफर द्वारा ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की गई । इस बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन की पूरी तैयारी करने के बाद दिनांक 10 सितंबर 22 को अंजाम दिया गया।
ऑपरेशन के दौरान उन सारी नसों को पूरी तरीके से बचाया गया जो ब्रेन के नॉर्मल हिस्से में खून का संचार कर रही थी और बड़ी ही सावधानी से उन नसों को जो कि इस गुच्छे को खून दे रही थी उन्हें धीरे-धीरे काट कर के अलग किया गया और इस तरीके से एक 14 घंटे चले इस ऑपरेशन में उस गुच्छे को पूरी तरीके से दिमाग से हटा दिया गया और ब्रेन की नार्मल खून की नसों को और नॉर्मल खून के संचार को बनाये रखा गया जिसके कारण पेशेंट को लकवा या दोबारा ब्रेन हेमरेज ऐसा कोई खतरा नहीं होने दिया गया ऑपरेशन के बाद की जांच में यह चीज पूरी तरह स्पष्ट हो गई कि गुच्छे को पूरी तरीके से निकाला जा चुका है और इनके नॉर्मल ब्रेन को पूरी तरीके से खून का संचार मिल रहा है।
ऑपरेशन के दौरान आजमगढ़ से बांग्लादेश तक दुआओ का सिलसिला चलता रहा। सफल ओप्रशन के बाद हसनजमाँ अपने आप को सवस्थ महसूस कर रहे हैं वहीं उनके परिवार वालो के चेहरे पर खुशी और संतोष साफ देखी जा रही हैं।
इस इतने जटिल ऑपरेशन के बाद महज 6 दिन में अब पूरी तरह स्वस्थ होकर हसनजमाँ अब स्वदेश जाने की तैयारी में है।

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