आजमगढ़: भूगोलविदों ने की सरयू नदी की यात्रा

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हवाई सर्वेक्षण कर तैयार की रिपोर्ट
सूख रही जलधारा को पुनर्जीवित करने का है प्रयास
आज़मगढ़। लोकदायित्व के तत्वावधान में रविवार को पवन कुमार सिंह के नेतृत्व में भूगोल विशेषज्ञों की एक टीम ने सरयू नदी की पांचवी बार यात्रा की। यात्रा का उद्देश्य ड्रोन कैमरे से हवाई सर्वेक्षण के द्वारा मूल सरयू के मार्ग को चिन्हित कर उसे सदा नीरा करना एवं सूख रही जल धारा को बनाए रखना है। इस टीम में डा घनश्याम दुबे डीसी एसके पीजी कॉलेज मऊ ,डा शशांक पांडेय गर्ल्स डिग्री कालेज मुबारकपुर, डा0 योगेश दयालु सिंह श्री कृष्ण गीता पीजी कालेज लालगंज आजमगढ़ शामिल हुए।
डा. योगेश सिंह ने प्राथमिक सूचनाएं आकड़ा जन संवाद से इक्ट्ठा किया। इसी क्रम में मंगरू निषाद निवासी साबितपुर ने बताया की नदी में नाव चलती थी, साबितपुर के नाम से घाट भी था, चौड़ाई लगभग 15 कठ्ठा, गहराई 5 फीट थी। बनकटा से रामचंद्र यादव, ग्राम देवारा जदीद से सुधार यादव ने जब सर्वे टीम को देखा तो उनके चेहरे पर खुशी का ठिकाना न था, उन्होंने कहा बाबू इस क्षेत्र में एक कहावत प्रचलित थी कि ‘धन नदी के काछे या धन गाय के पाछे’ मूल सरयू के मरने से हम लोगों की आमदनी मर गई।
ग्राम सुभौती हमीरपुर स्वामी नाथ यादव ने कहा कि बांध बाढ़ रोकने के लिए बना था, अब नदी के अस्तित्व के समाप्त होने से जल निकासी नहीं हो रही जिससे बाढ़ आती है। डा शशांक पांडेय ने नदी के ढाल कगार का अध्ययन किया। डा घनश्याम दुबे ने नदी का ’टोपोग्राफिकल (भूपत्रक) अध्ययन किया, जिसमें अवसादों के जमाव प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि मूल सरयू के खत्म होने का प्रमुख कारण नदी की धारा को बांध बनाकर बंद कर देना है। सभी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम सभी इस अभियान से जुड़ेंगे और सहयोग भी करेंगे। चार महीने पशुओं, पक्षियों को पानी पीने की किल्लत होती है। भूजल स्तर नीचे चला गया है। ड्रोन का संचालन सूरज कुमार ने किया। यात्रा के संयोजक लोक दायित्व के प्रमुख पवन कुमार सिंह ने बताया कि यह यात्रा मूलगढ़वल बांध से साबितपुर बाजार होते हुए महराजगंज, चांदपट्टी होते हुए सलोना ताल पर संपन्न हुई।

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