पत्रकार को गिरफ्तार करने में यूपी और राजस्थान की पुलिस आमने-सामने

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लखनऊ। टीवी पत्रकार अमन चोपड़ा को गिरफ्तार करने गौतमबुद्ध नगर पहुंची राजस्थान पुलिस को उनके घर पर ताला लगा मिला। इसके बाद राजस्थान पुलिस ने रविवार को आरोप लगाया कि यूपी पुलिस ने उन्हें काफी देर इंतजार करवाया, जिससे आरोपी को भागने का मौका मिल गया। नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है।
राजस्थान पुलिस का एक दल शनिवार और रविवार को टीवी पत्रकार अमन चोपड़ा की गिरफ्तारी के लिए गौतमबुद्ध नगर में डेरा डाले रहा। बिसरख स्थित आवास पर वह नहीं मिले। इस बारे में डूंगरपुर पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने मीडिया से दावा किया कि उनकी टीम को रोक दिया गया और गिरफ्तारी वारंट पर सीधे कार्रवाई करने से पहले स्थानीय पुलिस स्टेशन जाने के लिए कहा गया। हम यह नहीं कह सकते कि यह पूर्ण सहयोग है। नोएडा पुलिस को पहले ही मामले के बारे में सूचित कर दिया गया था।
राजस्थान पुलिस को सहयोग का दावा : दूसरी ओर नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया कि प्रक्रिया को पूरा करने में राजस्थान पुलिस का पूरा सहयोग किया गया। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (मध्य नोएडा) जी. इलामारन ने कहा कि कार्रवाई राजस्थान पुलिस को करनी है न कि उत्तर प्रदेश पुलिस को। हमने तय प्रक्रिया के तहत कार्य करने, नोटिस जारी करने, इलाके की पहचान करने में मदद की। कोई बाधा उत्पन्न नहीं की गई।
पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर टकराव
राजस्थान पुलिस के मुताबिक, अमन चोपड़ा पर कथित तौर पर भ्रामक खबर से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। चोपड़ा के खिलाफ पिछले महीने बूंदी, अलवर, और डूंगरपुर जिलों में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। इनमें से दो मामलों में राजस्थान उच्च न्यायालय गिरफ्तारी पर रोक लगा चुका है, लेकिन डूंगरपुर जिले में स्थानीय अदालत के आदेश के बाद उन्हें गिरफ्तारी वारंट का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में राजस्थान पुलिस की नोएडा में कार्रवाई के दौरान टकराव की स्थिति बन गई।

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