सीओ समेत चार पुलिस कर्मियों को कोर्ट ने किया तलब

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सचिव गृह विभाग उत्तर प्रदेश और डीजीपी को भी भेजी गई रिपोर्ट
मेरठ। मेरठ के परतापुर थाने में दर्ज 1.60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में एफआर लगाना पुलिस को भारी पड़ गया। कोर्ट ने सीओ समेत चार पुलिसकर्मियों को तलब कर लिया है, साथ ही इस मामले में सचिव गृह विभाग उत्तर प्रदेश और डीजीपी को भी रिपोर्ट भेजी गई है। इस मामले में कोर्ट ने पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है। मामले में पुलिस ने बैंक लेनदेन की जानकारी को नजरअंदाज किया था, इसलिए ही पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जयप्रकाश सिंह निवासी अंसल टाउन मोदीपुरम की परतापुर अछरौंडा में जेपी इंडस्ट्रीज नाम से बायोफ्यूल की फैक्ट्री है। जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि उनका संपर्क वर्ष 2016-17 में अजित सिंह से हुआ था। अजित सिंह ने व्यापार में साझेदारी की बात कही और सरधना में 20 बीघा जमीन देने की बात कही। इसी जमीन के लिए जयप्रकाश सिंह ने 1.60 करोड़ रुपये की रकम अजित सिंह, उनके बेटे नीरज, गौरव, पूजा पत्नी अजित समेत छह लोगों के खातों में ट्रांसफर की थी। बाद में आरोपी पक्ष ने जमीन का बैनामा नहीं कराया और रकम हड़प ली। इस मामले में जयप्रकाश सिंह की ओर से परतापुर थाने में वर्ष 2020 में मुकदमा अपराध संख्या 603 दर्ज कराया।
पुलिस ने इस मामले में साक्ष्य को नजरअंदाज करते हुए एफआर लगा दी थी। वादी पक्ष ने इसका विरोध करते हुए प्रोटेस्ट दाखिल किया। कोर्ट ने इस मामले में तत्कालीन सीओ ब्रह्मपुरी अमित कुमार राय, विवेचना करने वाले अवनीश कुमार अष्टवाल, दिनेश कुमार और तत्कालीन थाना प्रभारी सलीम अहमद को तलब कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि पदीय दायित्वों का निर्वहन न करते हुए बैंक लेनदेन के स्टेटमेंट को नजरअंदाज किया गया और आरोपियों को लाभ दिया गया। इसलिए इस पूरे मामले में सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सचिव गृह और डीजीपी को भी पत्र भेजा है।

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