आजमगढ़: यूक्रेन से सकुशल घर पहुंचा विनीत, परिवार में खुशी की लहर

Youth India Times
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रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने यूक्रेन गए जिले के तमाम युवाओं के परिजन रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के चलते वहां शरणार्थी जीवन जीने को मजबूर थे। दोनों देशों के बीच शुरू हुए भीषण युद्ध के दौरान देश के लगभग20 हजार युवा यूक्रेन में जहां-तहां फंसे हुए थे। भला हो भारत सरकार का जिसने वहां फंसे छात्रों को सकुशल वतन वापसी के लिए तमाम देशों से संपर्क कर वहां शरणार्थी बनने को मजबूर युवाओं को वापस देश लाने के लिए पहल करते हुए आपरेशन गंगा अभियान चलाकर हजारों छात्रों की वतन वापसी कराने में सफल रही। सकुशल देश लौटने वाले छात्रों में अपने जिले के भी कई छात्र हर्षित भाव से अपने परिवार में सकुशल पहुंच गए हैं। घर लौटने वाले छात्रों में आजमगढ़ शहर से सटे लच्छीरामपुर निवासी विनीत विश्वकर्मा के शुक्रवार को सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली। घर तक सकुशल पहुंचाने पर छात्र के परिजनों ने सरकार को धन्यवाद दिया। यूक्रेन से लौटे विनीत ने बताया कि 24 फरवरी को यूक्रेन में स्थिति खराब होने के बाद ही 25 फरवरी को वह अपने साथियों के साथ ब्लैक सागर के तट पर स्थित ओडीशा मेडिकल यूनिवर्सिटी से अपने घर के लिए निकल गया था। लेकिन तमाम झंझावतों को सहने के बाद 4 मार्च की सुबह आजमगढ़ शहर स्थित अपने घर पहुंच सका। उसने बताया कि रात रात भर रेलवे स्टेशन व बॉर्डर पर लाइन में खड़ा होना पड़ रहा था। अफ्रीकन व पाकिस्तानी छात्रों का उत्पात था व यूक्रेन में त्रासदी के दौर में हर चीज का दाम बहुत ज्यादा वसूला जा रहा था। किसी तरह हंगरी बॉर्डर पारकर राहत की सांस ली। वहां से भारतीय दूतावास ने बहुत मदद की। सभी को होटल व खाने-पीने के सामान उपलब्ध कराए गए। फिर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से एयरफोर्स के सी-17 प्लेन से गुरुवार को गाजियाबाद पहुंचा। वहां से राज्य सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई गई कार से आजमगढ़ निवासी चार छात्र सड़क मार्ग से अपने-अपने घर पहुंचे। कार से निःशुल्क घर तक पहुंचाने पर परिजन बहुत खुश दिखाई दिए। बताए कि एसडीएम लगातार बच्चों से संपर्क में थे।

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