यूपीटेट परीक्षा मामले में बड़ा खुलासा

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दिल्ली में कॉलेज के छात्रों ने टाइप किया था यूपी टीईटी का पेपर
नोएडा। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) का पेपर छापने में हुई मिलीभगत की जांच में हो रहे खुलासे ने अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है। एसटीएफ की ओर से दर्ज कराए मुकदमे से चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि प्रश्नपत्र को अलग-अलग भाषा में टाइप करने के लिए दिल्ली में स्कूल-कॉलेज के छात्रों को अनियमित तरीके से बुलाया गया।
गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी में दर्ज कराए गए मुकदमे में लिखा गया है कि सचिव परीक्षा नियामक उत्तर प्रदेश द्वारा जिस आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड को 23 लाख पेपर छापने का ठेका 13 करोड़ में दिया गया था। उसके पास पेपर छापने के लिए पर्याप्त संसाधन और ढांचागत सुविधा तक उपलब्ध नहीं थी। छपाई का ठेका मिलने के बाद आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड ने प्राइवेट कर्मचारियों की असुरक्षित तरीके से नियुक्ति की और प्रश्नपत्र को अलग-अलग भाषा हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत में टाइप करने के लिए दिल्ली में स्कूल-कॉलेज के छात्रों को अनियमित तरीके से बुलाया गया। इस कंपनी का कार्यालय सिक्योरिटी प्रेस के कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। यह पेपर गोपनीय दस्तावेज था, जिसे टाइपिंग, डिजाइनिंग, प्रूफ रीडिंग आदि के लिए गैर जिम्मेदार स्तरों पर दे दिया गया और इसी के चलते यह पेपर लीक हुआ।
टीईटी का पेपर टाइप करने के लिए जिन तीन छात्रों को बुलाया गया था, वह सभी दिल्ली के रहने वाले हैं और वहीं पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उर्दू में टाइपिंग के लिए जिस छात्र को बुलाया गया था, वह दिल्ली में ही पढ़ाई कर रहा है, जबकि हिन्दी और संस्कृत में टाइपिंग के लिए बुलाया गया छात्र दिल्ली में ही कोचिंग करता है। अंग्रेजी में टाइपिंग करने वाला छात्र भी दिल्ली में ही कोचिंग कर रहा है। इन तीनों छात्रों से भी एसटीएफ की टीम पूछताछ कर चुकी है। एसटीएफ ने कहा है कि टाइपिंग, डिजाइनिंग, प्रूफ रीडिंग के दौरान सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने की बात कार्यदायी संस्था ने अधिकारियों से कही थी, लेकिन वह जांच में ऐसी कोई फुटेज उपलब्ध नहीं करा सकी है और ऐसी कोई फुटेज नहीं है। सचिव परीक्षा नियामक संजय उपाध्याय के द्वारा दिल्ली की जिस आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड को टीईटी के पेपर छापने का ठेका दिया गया था, उसकी अपनी कोई प्रेस ही नहीं है और जिस पते पर यह ठेका दिया गया, वहां पर बीयर का गोदाम है। उसके द्वारा इस ठेके को लेने के बाद दिल्ली, कोलकाता और नोएडा की जिन चार प्रेस को पेपर छापने का ठेका दिया गय था, उनके साथ किसी तरह का कोई अनुबंध नहीं किया गया था और गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए कोई नन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट नहीं किया गया था। एसटीएफ ने अपने मुकदमे में कहा है कि सचिव परीक्षा नियामक उत्तर प्रदेश द्वारा सक्षम संस्था को पेपर प्रिटिंग का कार्य न देकर अवैध तरीके से अनुचित लाभ के लिए अक्षम संस्था को पेपर छापने का कार्य दिया गया। उसके द्वारा अनुभवहीन व्यक्तियों को नियुक्त करते हुए सुरक्षा के मानकों को अनदेखा कर पेपर छपवाया गया। यह दोनों ही इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, जिनकी वजह से पेपर आउट हो गया।

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