जब राजनाथ सिंह को अपने ही मंत्रियों को करना पड़ा बर्खास्त, एक को कराया गिरफ्तार

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लखनऊ। 1996 से 2000 के कालखंड में उत्तर प्रदेश की राजनीति में आए निर्णायक मोड़ों की कहानी बिना उन प्रसंगों के पूरी नहीं होगी जब किसी मुख्यमंत्री ने अपनी ही सरकार के दो मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया हो। ये मंत्री थे नरेश अग्रवाल और अमरमणि त्रिपाठी। अमरमणि त्रिपाठी को तो गिरफ्तार भी करा दिया था। बात शुरू होती है 2000 में राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद। नरेश अग्रवाल ऊर्जा मंत्री थे। कल्याण सिंह के समय से ही नरेश अग्रवाल समर्थन वापस लेने की धमकी देकर सरकार पर दबाव डालते रहते थे। पर, राजनाथ सिंह तो अलग ही थे। नरेश बिजली को लेकर जब-तब ऐसे सार्वजनिक बयान दे देते जो सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करता।
भाजपा नेताओं ने उनसे कई बार बातचीत की लेकिन वह नहीं माने। बहरहाल इसी बीच नरेश ने हरिद्वार में लोकतांत्रिक कांग्रेस का सम्मेलन बुलाया। सम्मेलन में उन्होंने बिजली आपूर्ति में व्यवधान के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया। वह यहीं नहीं माने। इसके खिलाफ सड़क पर आने की चेतावनी भी दे डाली। इससे नाराज राजनाथ सिंह ने नरेश को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। उन्होंने खुद फोन कर नरेश अग्रवाल को इसकी सूचना दी। अमरमणि की बर्खास्तगी रू राजनाथ सिंह की सरकार में राज्यमंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी की बर्खास्तगी की वजह बना व्यापारी के बेटे का अपहरणकांड। दरअसल, पूर्वांचल के एक बड़े व्यापारी के 16 वर्षीय पुत्र राहुल मधेशिया का अपहरण हो गया था। अपहरण करने वाले उसे नेपाल ले जाने की फिराक में थे। इसी बीच पुलिस ने अमरमणि के कैंट स्थित आवास से राहुल को बरामद कर लिया। फिर क्या था, मुख्यमंत्री ने अमरमणि को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। बाद में इसी मामले में अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया।

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