आजमगढ़ : अंधेरे में आशा की किरण है शिक्षक-सच्चिदानंद

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नंद एकेडमी महिला महाविद्यालय एवं नंद एकेडमी d.El.Ed कॉलेज रोहुआ मुस्तफाबाद आजमगढ़ में शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का किया गया आयोजन
आजमगढ़। आज 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर नंद एकेडमी महिला महाविद्यालय एवं नंद एकेडमी d.El.Ed कॉलेज रोहुआ मुस्तफाबाद आजमगढ़ में गुरु एवं शिष्य की गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करते हुए शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय की छात्राओं द्वारा अपने गुरुजनों के प्रति हृदय से आभार ज्ञापित किया गया एवं गुरुजनों से आशीष स्वरूप इस बात की शिक्षा प्राप्त की गई कि वह आधुनिक समाज में स्वावलंबी एवं रचनात्मक दायित्व का निर्वहन करने में सक्षम बन सकें। उक्त अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य डॉ बृजेश कुमार मौर्य द्वारा महिला शिक्षा एवं वर्तमान समाज में इसकी भूमिका पर विस्तार से व्याख्यान देकर विद्यालय की बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया।


तत्पश्चात विद्यालय के प्रबंधक सच्चिदानंद यादव द्वारा अपने व्याख्यान में शिक्षा एवं गुरुजनों के महत्व एवं वर्तमान समाज में गुरुजनों की स्थिति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा गया कि सारी दुनिया का प्रकाश और अंधेरे में आशा की किरण में जो हमें जीवित रखने की ताकत देती है वही हमारे शिक्षक हैं।
शिक्षक दिवस प्रतिभाशाली आत्माओं को सम्मान देने की एक गौरवशाली परंपरा है भारत में बड़े—बड़े परिवर्तन युवाओं के संकल्प और सपने से साकार हुए हैं। आज शिक्षा को समाज उपयोगी बनाने की अनिवार्य आवश्यकता है। इस प्रकार का अभीष्ट परिवर्तन तभी संभव है जब हमारे समाज का प्रत्येक सदस्य दृढ़ संकल्पित होकर ऐसी स्वस्थ परंपरा का ध्वजवाहक बनने हेतु संकल्पित हो। भारत का इतिहास युवाओं की संकल्पना शक्ति से ही लिखा गया है। उन्होने कहा कि भारतीय युवाओं में अपार संभावनाओं का पुंज है, जब हम भारतीय कुछ करने और सीखने का मन बनाएंगे तभी एक सक्षम कौशल संपन्न ज्ञान संपन्न और जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि हम अपनी चेतना में जैसा बीज बोएंगे वैसे ही हमारे भविष्य का निर्माण होगा। हमें इस बात की भी अनुभूति करनी चाहिए कि ज्ञान एक ताकत के साथ-साथ एक सद्गुण भी है, बिना मानवीय मूल्यों के भारतीय समाज में समग्र मनुष्य का निर्माण कर पाना असंभव है, हमें अपने विद्यार्थियों को सृजनात्मक संकल्पना की क्षमता से युक्त एवं स्वावलंबी बनाना है यही समग्र मनुष्य के निर्माण की प्रक्रिया है।
श्री यादव ने कहा कि भारतीय समाज में शिक्षक की भूमिका इतनी गौरवशाली रही है कि राजा भी शिक्षालय में रथ से उतरकर नंगे पांव जाया करते थे यदि हमें शिक्षा के उस पायदान पर पुनः स्थापित होना है तो शिक्षकों को पुनः शिक्षा के उस केंद्र में प्रतिस्थापित होना होगा, जिसका स्पष्ट अभाव आज के आधुनिक परिवेश में समस्त शिक्षा जगत महसूस कर रहा है और अपने उक्त गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करने में अपने आप को अक्षम पा रहा है।
उक्त अवसर पर विद्यालय के मैनेजिंग डायरेक्टर इंजीनियर कृष्णा नंद यादव द्वारा भी बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु अपने तमाम उद्धरण के साथ रानी लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गांधी तक अनेक भारतीय महिलाओं के उदाहरण प्रस्तुत किए गए। उक्त अवसर पर विद्यालय के शिक्षक गण सुश्री अनु यादव, कुमारी प्रियंका सरोज, श्रीमती गीतांजलि यादव, श्रीमती पूजा राय, चंद्रभान यादव, डाक्टर ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा भी बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरुक होने की महत्ता पर विस्तार से व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। अंत में विद्यालय के प्रबंधक सच्चिदानंद यादव द्वारा समस्त आए हुए आगंतुक जनों एवं अभिभावकों पत्रकार बंधुओं गुरुजनों एवं शिक्षा जगत के चमकते सितारों को नमन करते हुए सभा का समापन किया गया।

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