मुख्यमंत्री ने 49 पीसीएस अफसरों को दिया नियुक्ति पत्र

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लखनऊ, 03 अगस्त। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के मिशन रोजगार के तहत मंगलवार को लोक भवन में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सम्मिलित राज्य, प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा-2019 में चयनित उपजिलाधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया। लोक भवन में कुल 49 उप जिलाधिकारियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया, जिसमें 45 तो 2019-20 तथा चार 2018-19 के थे। लोकभवन में इस कार्यक्रम में उप जिलाधिकारी के पद पर चयनित 49 अभ्यर्थी मौजूद थे। जिनमें से दस को मुख्यमंत्री ने खुद नियुक्ति पत्र वितरित किए। उन्होंने चयनित अभ्यर्थियों से कहा कि देश के सबसे बड़े राज्य एवं सबसे बड़ी प्रशासनिक व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नव-चयनित सभी अधिकारियों को हृदय से बधाई देता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को एक निष्पक्ष, पारदर्शी चयन की प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाने के लिए मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर चयनित अधिकारियों के अंदर जोश भरा और उनको ईमानदारी के साथ काम करने की सीख भी प्रदान की। उन्होंने कहा कि प्रादेशिक सेवाएं भारतीय प्रशासनिक सेवा की रीढ़ होती हैं। नवचयनित अधिकारी, अपने उत्तरदायित्व के निर्वहन में निष्पक्षता व पारदर्शीता अवश्य अपनाएं। जिससे आपकी प्रशासनिक सेवाओं का लाभ प्रदेश के हर नागरिक को प्राप्त हो सके। हमारी सरकार के कार्यकाल में नियुक्तियों में शुचिता और पूरी पारदर्शीता बरती जा रही है। इसी कारण हमारी सरकार ने करीब सवा चार वर्ष के कार्यकाल में योग्यता व क्षमता के आधार पर युवाओं को 4.50 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया वर्ष 2017 के पहले कैसे कलंकित हो चुकी थी, यह सबने देखा है। सरकारी नौकरियों में भाई-भतीजावाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार इस कदर हावी हो चुका था कि न्यायालय को नियुक्तियों की सीबीआइ जांच कराने का आदेश देना पड़ा। यह युवाओं की प्रतिभा और उनके जीवन के साथ खिलवाड़ ही नहीं, बल्कि इसके पीछे उन्हें कुंठित करने की कुसति मंशा भी थी। इस कुसति मंशा के तहत पिछली सरकारों की शरारतो का भुक्तभोगी उत्तर प्रदेश का युवा होता था। यह वही प्रदेश है जहां बेईमानी और भ्रष्टाचार का लेबल सरकारी नौकरियों पर पहले ही लग जाता था। कई मामले अदालत में जाते थे और नौकरियां बाधित हो जाती थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी नागरिकों को न्याय मिले यह आपका दायित्व होगा। आधी से अधिक समस्याएं राजस्व से जुड़ी हुई होती हैं। इसमें भी आम आदमी प्रशासनिक अनिर्णय का शिकार होता है। किसी प्रकार की अव्यवस्था और दुव्र्यवस्था नहीं होनी चाहिए। सभी को न्याय मिलना चाहिए। न्याय आपकी कार्यपद्धति से झलकना चाहिए। हम समाज के लिए समस्या न बने समाज की समस्या सुलझाएं। उन्होंने कहा कि मैं कही भी रहूं जनता दर्शन करता हूं। यह कार्य हर एक अफसर करें तो समस्याएं खत्म हो जाएंगी। मैं मुख्यमंत्री हूं मेरे पास बहुत काम हैं, लेकिन मैं लोगों से मिलता हूं। प्रशासनिक पद पर बैठा व्यक्ति अपने को प्रोटोकॉल से दूर रखे। हम किसी के काम मे हस्तक्षेप नहीं करते लेकिन तटस्थ रहकर समीक्षा करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने अव्यवस्था, अराजकता, भ्रष्टाचार के साथ भाई-भतीजावाद के अड्डे बन चुके भर्ती से जुड़े आयोगों और बोर्ड को इनसे मुक्ति दिलाकर इस जड़ता को दूर किया है। हमने तो भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्षता, शुचिता और पारदर्शीता के साथ तेजी से आगे बढ़ाते हुए युवाओं को उनकी मेरिट, प्रतिभा, योग्यता और क्षमता के अनुसार नौकरियां दीं। इसी का परिणाम है कि पिछले सवा चार वर्षों में हुई करीब साढ़े चार लाख र्भतियां हुईं और कोई भी चयन प्रक्रिया अदालत में लंबित नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने चयनित को कर्तव्य बोध भी कराया। उन्होंने कहा कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ते हैं तो कुछ भ्रष्टाचार की चपेट में आकर असमय इस व्यवस्था से दरकिनार कर दिए जाते हैं। जो लोग शुरू से इस पर ध्यान नहीं देते, वह आगे चल कर खुद अपने लिए समस्या बन जाते हैं। हम समाज के लिए समस्या नहीं बल्कि उसकी समस्याएं सुलझाने का माध्यम बनें। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था में बैठे अधिकारी अपने को नए प्रोटोकॉल में ढालने और टापू की तरह खुद को एकांकी जीवन में डालने से बचें क्योंकि इससे उनका समाज, देश व काल से संबंध विच्छेद हो जाता है। जब हम टापू बन जाते हैं तो हमारे इर्द-गिर्द घूमने वाली मक्खियों से जो भी दुव्र्यवस्था फैलाई जाती है, वह तमाम बीमारियों को जन्म देती है। हमें पहले दिन से ही इस बीमारी से बचना होगा। आज जो भी अधिकारी आज गलत काम करता है, कुछ महीनों या वर्षों के बाद उसका भंडाफोड़ हो ही जाता है। इसके बाद प्रमोशन से डिमोशन और फिर बर्खास्तगी होती है। सरकार किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन दूर रहकर तटस्थ भाव से सबकी समीक्षा करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल जनता की 90 फीसद समस्याएं तहसील और थाने से जुड़ी होती हैं। उन्होंने चयनित से तहसील की प्रक्रिया को टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए कहा ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके। कहा कि निजी क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निवेश आकर्षित किया। इसका परिणाम है कि आज निजी क्षेत्र में 1.61 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सका है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले खराब कानून-व्यवस्था तथा अन्य कारणों से निवेश नहीं आता था, लेकिन हमारी सरकार के कार्यकाल में माहौल काफी बदला है। पहले निवेशक कहते थे हम यूपी में निवेश नहीं करेंगे। हमने खुद निवेशकों से संवाद किया। सिंगल विंडो पोर्टल से व्यवस्था को आगे बढ़ाया है। आज लोगों को यूपी पर विश्वास हुआ। पहले इन्वेस्टर समिट में चार लाख करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। प्रदेश के वित्त, संसदीय कार्य तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इस मौके पर नवचयनित अधिकारियों से कहा कि लोगों को इस पद पर आने के बाद दिखास और छपास का रोग लग जाता है। सस्ती लोकप्रियता पाने की बजाय यदि आप न्यायप्रियता से दायित्व निर्वाहन करेंगे तो यह आपके लिए हितकारी होगा। उन्होंने पीसीएस से आइएएस में प्रमोशन का कोटा बढ़ाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि आईएएस में प्रमोशन के कोटा बढना चाहिए और योग्यता अनुसार जल्द अवसर मिलना चाहिए
उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने नव चयनित अधिकारियों को त्वरित निर्णय लेने और भविष्य की चुनौतियों के प्रति चिंतनशील रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सफलता किसी चुनौती से कम नहीं है। यूपी में हम लोग मुश्किल से जाति, धर्म और साम्प्रद से आगे बढ़ रहे हैं।

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