युद्ध हथियारों से नहीं हौसलों से जीता जाता है ये साबित किया वीर अब्दुल हमीद ने-बेगम शहनाज सिदरत

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लखनऊ। सामाजिक संस्था बज्म-ए-खवातीन की जानिब में भारतीय सेना के जांबाज सिपाही परम वीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की यौमे पैदाइश के मौके पर एक जलसा का आयोजन मदरसा हयात उल उलूम निजामिया फिरंगी महल चैक लखनऊ में दोपहर 3.00 बजे से शाम 5.30 बजे तक बेगम शहनाज सिदरत की सदारत में हुआ। कार्यक्रम का आगाज नूर बानो ने कुरान पाक की तिलावत के साथ किया कार्यक्रम के दौरान सभी वक्ताओं ने वीर अब्दुल हमीद के जीवन पर प्रकाश डाला और लोगों को उनकी देशभक्ति, अदम्य साहस और वीरता से सीख लेने की बात कही। 
मुख्या वक्त बेगम शहनाज सिदरत ने कहा कि कहा कि अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में अजय समझी जानेवाली पैटर्न टैंक की बटालियन को बर्बाद कर पाकिस्तान वापस लौटने को मजबूर कर दिया था। हालाँकि युद्ध में उनको वीरगति हासिल हुई लेकिन उन्होंने अपनी वीरता से दुनिया को बता दिया कि जंग से नहीं बल्कि हौसलों से लड़ी जाती है। कोरोना काल के सन्दर्भ में उन्होने कहा की इस समय मीडिया द्वारा फहलायी जाने वाली अफवाहों पर ध्यान न दें बल्कि उन हिन्दू और मुसलमानो से सीख लें जिन्होंने इस संकट के समय धर्म और जात से ऊपर उठ कर एक दूसरे की मदद की। उन्होंने सरकार से अपील करि की लोगों ने इस कोरोना काल में अपनों के साथ साथ अपनी आय का जरिया भी खोया है और अब सरकार को इसी दिशा में ठोस कदम उठा कर बढ़ती हुयी महंगाई को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए। अनवर जहाँ ने कहा की हमारी कौम के हर लोग वीर अब्दिल हमीद और अब्दुल कलाम बन कर सामाजिक एकता और भारतीय अखण्डता को कायम रखें। उन्होने कहा की सरकार को अब शिक्षा और स्वस्थ्य के क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए ताकी कमजोर तबके लोगों को भी बुनियादी सेवाओं का फायदा मिल सके। अन्य वक्ताओं में से नसरीन (मनोवैज्ञानिक) ने खावटीनो को अब्दुल हमीद और कलाम के पदचिन्हों पर चलने के डिप्रेशन से निकलने का तरीका बताया, समीना बनो ने बच्चो को अब्दुल हमीद और कलाम के पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया तथा शाहीन और अन्य ने देशभक्ति की नज्म पेश की।

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