कयासों पर विराम, बने रहेंगे योगी, भाजपा ने बताया- क्यों हो रहीं बैठकें

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कहा, प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी चीफ जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर उप्र से जुड़े अलग-अलग मुद्दों की कर रहे हैं समीक्षा 
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच हो रही ताबड़तोड़ बैठकों को लेकर जारी अटकलों पर अब पार्टी द्वारा विराम लगा दिया गया। पार्टी सूत्रों ने दरार की अटकलों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी चीफ जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अमित शाह राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर यूपी से जुड़े अलग-अलग मुद्दों की समीक्षा कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यह भी बताया कि इन बैठकों से मुख्यमंत्री योगी के विरोध में उठने वाली आवाजों के खिलाफ भी एक सख्त संदेश है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, इन बैठकों का उद्देश्य आगामी चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाने के साथ ही राज्य नेतृत्व को यह संदेश देना भी है कि अगले विधानसभा चुनाव में योगी ही चेहरा होंगे। 
बताते चलें कि पिछले दो दिनों में बीजेपी के बड़े नेताओं, पीएम मोदी, पार्टी चीफ जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच दिल्ली में कई बैठकें हुई हैं। सूत्रों ने कहा कि बैठकों का उद्देश्य योगी में विश्वास को दर्शाना है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इन चर्चाओं के केंद्र में केंद्र की योजनाओं के अनुपालन और राजनीतिक व जातिगत समीकरण भी रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी, बीजेपी चीफ नड्डा और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ योगी की बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप को अंतिम रूप दिया गया है। पार्टी नेताओं ने बताया कि पीएम और सीएम के बीच मुलाकात के दौरान विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने पर चर्चा हुई। सूत्रों ने यह भी बताया कि बैठकों में योगी ने कोरोना महामारी के दौरान उनकी सरकार के किए गए कामों के बारे में भी जानकारी दी। यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है। स्थानीय चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की बड़ी परीक्षा होने जा रही है। यूपी में विधानसभा की 403 सीटें हैं तो लोकसभा में यहां से 80 सांसद चुनकर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है।

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