भाजपा मंत्री ने कहा 25 लाख से कम की हेराफेरी घपला नहीं

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पंचायती राज मंत्री ने दो जून को अपर मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में कही यह बात
मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह ग्राम पंचायतों में प्रशासकों के कार्यकाल में की गई गड़बड़ियों में 25 लाख से नीचे के खर्च में हुई हेराफेरी को घपला नहीं मानते। पंचायती राज मंत्री के दो जून को अपर मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र से यह बात साफ हो रही है।
पत्र में लिखा है कि प्रशासकों द्वारा ग्राम निधि की धनराशि का भारी मात्रा में फर्जी भुगतान करके दुरुपयोग किया गया है। इसके बाद भी मंत्री ने एक महीने में ऐसी ग्राम पंचायतों की जांच करने को कहा है, जहां 25 लाख से अधिक की धनराशि खर्च की गई है। इससे मंत्री की भूमिका में जांच के नाम पर औपचारिकता और जांच में गड़बड़ियां मिलने के बाद भी 15 दिन का समय देने वाले जिले के डीपीआरओ की लीपापोती को मजबूती मिलती प्रतीत हो रही है।
याद रहे कि एक अखबार को विभागीय सूत्रों से जानकारी मिली थी कि जिले की 646 गांवों में पंचायत प्रधानों का कार्यकाल पूरा होने के बाद 12 करोड़ रुपये के विकास कार्य दर्शा दिए गए। वहीं, 11 करोड़ की अदायगी भी कर दी गई। इस पर अनेक गांव में संबंधित कार्य न किए जाने तथा अनेक में काम अधूरा छोड़ने संबंधी खबर छपी तो पंचायती राज मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच कराने को कहा।
हैरानी की बात यह है कि पंचायती राज मंत्री अपने ही पत्र में एक तरफ ग्राम निधि के खाते से धनराशि के गबन की बात लिखते हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने ऐसी ग्राम पंचायतों में जांच कराने का आदेश दिया है, जहां 25 लाख से अधिक धनराशि खर्च की गई है। इससे साफ है कि 25 लाख से कम की धनराशि निकालने के मामलों को मंत्री जी जांच के दायरे में ही नहीं मानते। इतना ही नहीं पंचायती राज मंत्री ने जांच और रिपोर्ट के लिए एक महीने का समय देकर मनमानी करने वालों को सब कुछ ठीक करने का अप्रत्यक्ष मौका भी दे दिया है। वहीं घपलेबाजी पकड़ने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश कुमार ने भी कोई कार्रवाई करने के बजाय पंचायत सचिवों को 15 दिन का समय देकर ऐसा मौका दे दिया था। इससे ग्राम पंचायतों में गबन और घपलेबाजी के बाद लीपापोती कर स्थितियां सुधारने की कवायद शुरू हो चुकी है।
ग्राम पंचायतों में प्रशासकों के कार्यकाल में ग्राम निधि की धनराशि का दुरुपयोग करने की जानकारी मिली है। 25 लाख से अधिक की धनराशि खर्च करने वाली ग्राम पंचायतों की जांच की बात इसलिए लिख दी है, क्योंकि कुछ ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन, शौचालय निर्माण, रोजगार कल्याण और कोरोना संक्रमण में सैनिटाइजर, मास्क की खरीद आदि पर खर्चा किया गया था, लेकिन यदि कहीं बिना काम कराए धनराशि निकाल ली गई है तो वह गबन की श्रेणी में माना जाएगा और संबंधित के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। - चौ. भूपेंद्र सिंह, पंचायतीराज मंत्री

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