तेजी से फल-फूल रहा है सेहत का बाजार

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जांच के नाम पर जमकर किया जा रहा है मरीजों का दोहन
तथाकथित चिकित्सकों के कमीशन के चस्के ने अच्छे चिकित्सकों को भी किया शर्मसार
-अशोक जायसवाल
बलिया। नगर व क्षेत्र में सेहत का बाजार तेजी से फल फूल रहा है। जांच के नाम पर मरीजों का जमकर दोहन किया जा रहा है। तथाकथित चिकित्सकों के कमीशन के चस्के ने अच्छे चिकित्सकों को भी शर्मसार कर दिया है। सरकारी अस्पतालों में सस्ता इलाज के चक्कर में पहुंचने वाले गरीब तबके के लोग इसके सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। आश्चर्य यह है कि न तो विभाग और न ही सरकार इस अवैध कमाई के प्रति गंभीर है, जिससे दिनदहाड़े मरीजों का लूटना जारी है।
जनपद में सेहत का कारोबार काफी फल-फूल रहा है। चिकित्सकों के रहमोकरम से अवैध पैथालाॅजी कुकुरमुत्ते की तरह उग चुके हैं। न रेडियोलाजिस्ट और न एलटी फिर भी इन पैथालाजियों पर मरीजों की लाइन लगी हुई रहती है। कारण पैथालॉजी के साथ तथाकथित चिकित्सकों के साथ कमीशन का खेल। आश्चर्यजनक बात यह है कि सरकार द्वारा जिन्हे मोटी रकम देकर गरीबों की सेवा के लिए सरकारी अस्पतालों पर नियुक्त की हुई है उसमें से कई इस खेल में शामिल हैं। उनका पैथालाजी सेंटरों से प्रत्येक जांच पर कमीशन तय है। मरीज द्वारा लाई गई जांच सही है या गलत उनके लिए यह मायने नहीं रखता बल्कि उन्हें बस अपने कमीशन से ही मतलब होता है। यदि मरीज उक्त चिकित्सक के बताए गए पैथालाजी सेंटरों से जांच न कराकर किसी और लैब से जांच करा लेता है तो उनकी भौंहें तन जाती हैं तथा आनन-फानन में उस रिपोर्ट को गलत करार दिया जाता है। यहां तक कि पूरे भारत में मान्य कई पैथालॅजी सेंटरों की जांच को भी वे कमीशन न मिलने के चलते उक्त मरीज के सामने गलत सिद्व करने लगते है। ऐसे ही कुछ तथाकथित चिकित्सकों की लालच के चलते धरती के भगवान पर भी उंगली उठानी शुरू हो गई है। अब देखना है यह है कि कब सरकार या प्रशासन ऐसे तथाकथित चिकित्सकों व पैथालॉजी सेंटरों की सांठगांठ पर प्रहार कर गरीब जनता के शोषण पर लगाम लगाने का कार्य करती है या फिर यह सेहत का धंधा पहले की तरह ही बेरोकटोक जारी रहता है।

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