10वीं के छात्रों के लिए खुशखबरी!

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हाईस्कूल परीक्षा रद्द करने की तैयारी में यूपी बोर्ड

जिला विद्यालय निरीक्षकों से हाईस्कूल के छमाही और प्री बोर्ड परीक्षा के परिणाम बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने के दिए निर्देश

प्रयागराज। कोरोना काल में सीबीएसई और सीआईएससीई की तरह यूपी बोर्ड ने भी हाईस्कूल की परीक्षा निरस्त करने की तैयारी शुरू की है। सचिव यूपी बोर्ड दिव्यकांत शुक्ल ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से हाईस्कूल के छमाही और प्री बोर्ड परीक्षा के परिणाम मंगलवार तक बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।
डीआईओएस को निर्देशित किया है कि सभी प्रधानाचार्यों से अनिवार्य रूप से मंगलवार शाम तक वांछित सूचनाएं अपलोड करा दें। यदि किसी स्कूल की सूचना वेबसाइट पर अपलोड नहीं होती तो उसके लिए संबंधित जिले के डीआईओएस जिम्मेदार होंगे। इस काम में किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।
माना जा रहा है कि छमाही और प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर बच्चों को 11वीं में प्रोन्नति दे दी जाएगी। हालांकि अब तक शासन या बोर्ड ने हाईस्कूल परीक्षा निरस्त करने संबंधी कोई घोषणा नहीं की है। लेकिन जिस प्रकार कोरोना कर्फ्यू बढ़ रहा है और समय बीत रहा है उसमें परीक्षा कराना संभव नहीं दिख रहा। बोर्ड के अधिकारी पहले परीक्षा निरस्त करने के मूड में नहीं थे लेकिन अब कोई और चारा नहीं दिख रहा। गौरतलब है कि 2021 की बोर्ड परीक्षा के लिए 10वीं के 2994312 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया है।
स्कूल बंद, 24 घंटे में कैसे दें सूचनाएं-सचिव यूपी बोर्ड के निर्देश पर डीआईओएस आरएन विश्वकर्मा ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों को 24 घंटे में हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं के प्राप्तांक और पूर्णांक बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है। लेकिन यह व्यावहारिक नहीं लग रहा। एक तो स्कूल लगभग डेढ़ महीने से बंद हैं और दूसरी बात तमाम ग्रामीण इलाकों के स्कूल तकनीकी रूप से इतने सक्षम नहीं कि सारी सूचनाएं अपलोड कर दें। उन्हें शहर आकर साइबर कैफे से सूचनाएं अपलोड करानी पड़ती हैं।



इनका कहना है
ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने बताया कि शासन में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारी पिछले 4 साल से सारी सूचनाएं 24 घंटे के भीतर मांगते हैं। चाहे सूचना इमरजेंसी हो या सामान्य। 24 घंटे में सूचना देना व्यावहारिक हो या न हो। पत्र के अंत में सारी जिम्मेदारी और जवाबदेही प्रधानाचार्यों पर तय की जाती है। यह एक प्रकार से क्षेत्रीय अधिकारियों, कार्यालय कर्मचारियों और प्रधानाचार्यों का मानसिक उत्पीड़न है।


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