आजमगढ़ : जान पर बन आई तो दिखने लगा लाकडाउन का मतलब

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पूरे जनपद में रही अभूतपूर्व बंदी परेशान हाल नजर आए पंचायत चुनाव में लगे कर्मचारी 
-वेदप्रकाश सिंह 'लल्ला'
आजमगढ़। सूबे में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर और पंचायती चुनाव का माहौल ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के उद्देश्य से समस्त जनपदों में लगाए गए 35 घंटों का संपूर्ण लाकडाउन पूरी तरह नजर आया। जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में भी कोविड-19 के अनुपालन में अभूतपूर्व बंदी देखने को मिली। ऐसे में तमाम लोग यह कहते नजर आए कि जब जान पर बन आई तो लोगों को लॉक डाउन का मतलब समझ में आने लगा है। हो भी क्यों ना इस महामारी के चलते न जाने कितनों ने अपने परिजनों को खोया है और सैकड़ों लोग इस महामारी की चपेट में आकर अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। शनिवार की रात से लागू हुआ लाकडाउन रविवार को पूरी तरह सफल नजर आया। इसमें आमजन की भी सहभागिता रही। इक्का-दुक्का लोग सड़कों पर नजर आए, वह भी वही लोग दिखे जिन्हें घरों से बाहर निकलने की मजबूरी रही। चाय-पान की दुकानें भी पूरी तरह बंद थीं। नगर क्षेत्र में दवाओं की दुकानें खुली तो थीं लेकिन ग्राहक नदारद थे। जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन का कार्य किया गया। मंडल व जनपद स्तर के तमाम अधिकारी भी लाकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर निकले और लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए समुचित उपाय किए जाने की अपील की। आवागमन पर रोक तो नहीं थी लेकिन सड़कों पर वाहनों की कमी रही। जिसके चलते सुदूर क्षेत्रों से आने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सबसे दयनीय हालत तो पंचायत चुनाव में लगाए गए उन कर्मचारियों की रही जो अपने ड्यूटी स्थल की जानकारी प्राप्त करने एवं चुनाव सामग्री को हासिल करने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पंचायत चुनाव में लगाए गए कर्मचारियों को दोपहिया व चार पहिया वाहनों से निकले लोगों से गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अनुनय विनय करते देखा गया। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि प्रदेश एवं जिला प्रशासन की अपील का लोगों ने पूरा ध्यान रखा और लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर सियापा नजर आया।

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