भूमि की उर्वरता में दलहनी फसलों का समावेश लाभप्रद:- कल्याण सिंह

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Published by- ashok jaiswal

खेती किसानी से जुड़ी यूथ इंडिया टाइम्स की किसान भाईयों के लिए कल्याण सिंह रिसर्च स्कॉलर स्टूडेंट आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रदौगिकी विश्विद्यालय अयोध्या से बातचीत पर आधारित एक और लेख






दलहनी फसलों के जड़ो की जड़ग्रंथियो में राइजोबियम नामक बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो इनके साथ सहजीवन जीवन यापन करते हुए वायुमंडल से प्रति हेक्टेयर 25-30 किलोग्राम नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती है। साथ ही साथ मृदा उर्वरता को बनाये रखने में अपनी पूरी भूमिका अदा करती है। रासायनिक उर्वरकों के लगातार इस्तेमाल तथा उनके अंधाधुंध एवं अनियमित तरीके से प्रयोग के कारण आज मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा मात्र 0.5 से घटकर 0.2-0.3 तक हो गयी है जो खेती के लिए अत्यंत चिंताजनक है। धान-गेंहू की खेती से एक तरफ उत्पादन तो बढ़ रहा है परंतु दूसरी तरफ मीथेन गैसों के उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या भी उत्पन्न हो रही है। इन समस्याओं से निपटने तथा प्रबंधन में दलहनी फसलों की खेती वरदान साबित हो सकती है।


उर्द की वैज्ञानिक खेती


उर्द दलहनी फसलों की एक मुख्य दाल वाली फसल है जिसकी खेती जायद में समय से बुवाई करके किसान भाई अधिक लाभ कमा सकते है। उर्द का उपयोग प्रायः दाल के अतिरिक्त नमकीन सहित भारतीयों उत्पादों को बनाने में किया जाता है।
भूमि का चयन:-जायद में उर्द की खेती के लिए दोमट या मटियार दोमट भूमि उपयुक्त होती है।
भूमि की तैयारी:-खेत की पहली जुताई डिस्क हैरो से करने के बाद 2-3 जुताई कल्टीवेटर से या किसान भाई एक ही जुताई रोटावेटर से करके खेत को समतल कर ले।
3:-उन्नतशील प्रजातियां:-
टा-9, नरेंद्र उर्द-1, आज़ाद उर्द-1, उत्तरा, आज़ाद उर्द-2, शेखर-2, आई. पी.यू.2-43, सुजाता, माश-479
बुवाई का समय:- जायद में उर्द की बुवाई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च है।
बीजदर:- उर्द का पौधा प्रायः जायद ऋतु में कम बढ़ता है इस लिए किसान भाई 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे।
बुवाई की विधि:- उर्द की बुवाई प्रायः कूड़ो में करनी चाहिए।
कूड़ से कूड़ की दूरी 20-25 सेमी रखनी चाहिए।
बीजशोधन:- 2.5ग्राम थीरम या ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम सीड के हिसाब से शोधित करके ही बीज की बुवाई करे। बीज शोधन करने से मृदाजनित बीमारियों के साथ साथ बीजजनित बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
उर्वरक की मात्रा:- सामान्यतः उर्वरकों का प्रयोग प्रायः मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के अनुसार ही करे।
सामान्यतः उर्द की फसल के लिए 15-20 किलोग्राम नत्रजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से किसान भाई प्रयोग करें।
प्रयोग विधि:- उर्वरकों की सम्पूर्ण मात्रा प्रायः किसान भाई बुवाई के समय कूड़ो में बीज से 2-3 सेमी नीचे देनी चाहिए।
यदि सुपर फॉस्फेट न उपलब्ध हो तो किसान भाई 100 किलोग्राम डी. एपी. पी तथा 2 कुंतल जिप्सम का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय करे
सिंचाई:- उर्द की फसल प्रायः 75-80 दिन की फसल अवधि होती है।
अतः पहली सिंचाई जायद में 30-35 दिन बाद ही करें, बाकी आगे की सिचाई किसान भाई 10-15 दिन के अंतराल पर अवश्य करें।

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