विकास के साथ साथ गोरखपुर में बढ़ता प्रदुषण चिन्ताजनक

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रिपोर्ट-आशिफ अहमद खाँ
गोरखपुर। दरअसल मौसम के बदलते ही शहर की आबोहवा और तेजी से बिगड़ रही है। यही वजह है कि हवा का गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) तेजी से बढ़कर खतरे के स्तर को पार कर गया है। एक्यूआई सूचकांक 100 पीएम होना चाहिए, लेकिन सोमवार को यह 162 पीएम रहा। प्रदूषित हवा हृदय, फेफड़े और अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत ही घातक हो सकती है। यही नहीं, त्वचा और आंखों से जुड़ी दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चेतावनी जारी की है कि गोरखपुर में सप्ताह भर हवा की गुणवत्ता खराब रहेगी। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि सेहत को लेकर खुद सजगता बरतें। बाहर निकलने पर मास्क जरुर लगाएं।
पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. गोविंद पांडेय कहते हैं- वातावरण के तापमान में गिरावट आने से एयर पाल्यूटेंट (प्रदूषण फैलाने वाले कारकों) का प्रसार धीमा हो जाता है। यह वायुमंडल के ऊपरी सतह में नहीं जा पाता। इस दौरान वाहनों से निकलने वाला धुंआ, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल सहित अन्य तत्वों के कारण वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में वातावरण के तापमान में काफी गिरावट आई है। एक सप्ताह पूर्व अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्यिस और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस था। वर्तमान में अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 21 तक पहुंच गया है। इसलिए इसका असर नजर आ रहा है। उधर, क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने निर्माण कार्य स्थलों पर पानी के नियमित छिड़काव के निर्देश दिए हैं। गोरखपुर शहर में सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 162 दर्ज किया गया। क्षेत्रीय प्रदूषण कार्यालय के कर्मचारियों के अनुसार इसकी गति मध्यम है। लेकिन यह धीरे धीरे बढ़ रही है। 15 अक्तूबर को यह 140 और 14 अक्तूबर को 144 पर रहा है। जानकारों का कहना है कि आगे चलकर इसके बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। 17 अक्तूबर से लेकर 19 अक्तूबर तक वायु गुणवत्ता 151 से लेकर 160 के बीच में बनी रहेगी।

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