आजमगढ़: जाते-जाते कईयों की जिंदगी सवार गए संगीत शिक्षक सत्यनारायण दास

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गायकी व गायनयंत्र में अपनी अलग छाप छोड़ गए हरिहरपुर के लाल
आधुनिक युग के द्रोणाचार्य थे गुरु सत्यनारायण दास-विजेतानंद


आजमगढ़। हरिहपुर घराने के लोग गायकी व वादन को लेकर देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए है, तो वहीं उसी गांव के ही संगीत शिक्षक व संगीताचार्य सत्यनारायण दास ने अपने जीवन काल में कई ऐसे कलाकारों को गायन व वादन की शिक्षा दी जो आज गायन के क्षेत्र में अपने व अपने जनपद का नाम रोशन कर रहे है। सत्यनारायण दास हमेशा संगीत शिक्षा को प्राथमिकता दी। श्री दास हमेशा अपने विद्यार्थियों की समस्या को लेकर चिंतित रहते थे।
इन्होंने भोजपुरी अभिनेता चंद्रकांत यादव, अभिनेता लाडो मद्धेशिया, अमरजीत यादव, विजय प्यारे, गायक सूर्या सम्राट, अखिलेश राव, लेखक सौरभ सम्राट, लेखक बी.के. सिन्हा, विनोद महायान, सूरज जादव, अजय देहाती, शंकर राव प्रेमी, संदीप कुमार निषाद, सूरज दीवाना, विनायक प्रजापति, सत्यम, शिवम, संतोष कुमार राव, सुप्रीत यादव, अनिल परवाना उर्फ़ छोटू दादा, गायक विजेतानंद राव सहित सैकड़ों कलाकारों को संगीत की शिक्षा दी। सत्यनारायण दास को अपने सभी विद्यार्थियों से प्रेम था, किंतु विजेतानंद राव विद्यार्थियों में सबसे प्रिय थे। लोगों से जब इनके बारे में पुछा गया तो उन लोगों ने बताया कि सत्यनारायण दास हमेशा संगीत में विलिन रहते थे और संगीत को लेकर हमेशा उन्हें यहीं चिंता सताती थी, कि मेरे जाने के बाद में विद्यार्थियों का क्या होगा। ऐसे विभूती का इस लोक से जाना संगीत की दुनिया की एक ऐसी छति है, जिसकी पूर्ति करना नामुमकिन है। विजेतानंद राव ने बताया कि गुरूजी हमें अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार करते थे। उन्होंने कहा कि हमारे गुरू आधुनिक युग के द्रोणचार्य थे। जिनके जाने के बाद आज जीवन में खाली-खाली सा लग रहा है।

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