आजमगढ़ : गर्मी से सभी का है बुरा हाल, नवजात का रखें विशेष ख्याल

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एसी, कूलर के सामने लगातार शिशु को रखने से हो सकती है परेशानी
बच्चे को घर के सामान्य वातावरण में रखें-डॉ शैलेश सुमन
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। डेढ माह की रानी को बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसका उपचार कराने के लिए मां दुर्गा उसे लेकर जिला महिला चिकित्सालय पहुंची। रानी को देखने के बाद डॉक्टर ने कहा, अगर शुरू से ही बच्ची को सामान्य वातावरण में रखा होता तो आज उसको सांस लेने में तकलीफ नहीं होती। यह सब शिशु को लगातार कूलर के सामने रखने का नतीजा है, जिसके कारण उसके सीने में जकड़न हो गया है। अगर दो चार दिन में ठीक नहीं हुई तो भाप (स्टीम) की मदद ली जाएगी। डॉक्टर ने समझाया कि बच्चे को घर के सामान्य वातावरण में रखें वर्ना इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
जिला महिला चिकित्सालय की अधीक्षक डॉ अमिता अग्रवाल का कहना है कि लगातार बढ़ते तापमान और उमस में नवजात का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। जो नवजात 28 या उससे अधिक दिनों के हैं, उनकी विशेष देखभाल की जरूरत है। नवजात को मां का ही दूध हर दो से तीन घंटे के अंतराल में पिलाते रहें। बच्चे का टीकाकरण नियमित रूप से करवायें। शिशु के शरीर पर दाना, बुखार या सांस लेने में दिक्कत जैसी अगर कोई अन्य समस्या हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जरूर दिखाएं।
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेश कुमार “सुमन” ने बताया कि गर्मी में न केवल बड़े लोगों को हाइड्रेटेड (शरीर को जलयुक्त) रहने की जरूरत होती है, बल्कि शिशु को भी इसकी जरूरत है। बढ़ती गर्मी में अगर आपके शिशु की उम्र छह महीने से कम है और आप उसे केवल स्तनपान करवा रही हैं, तो उसे गर्मी के मौसम में अतिरिक्त पानी देने की जरूरत नहीं है। वह शिशु, जो अपनी इच्छानुसार स्तनपान करते रहते हैं, उन्हें निर्जलीकरण का खतरा नहीं होता। उन्होंने कहा कि बढती तपिश के दिनों में, हमारे लिए जरूरी है कि हम अपने स्वास्थ्य, अपनी लाइफस्टाइल और खानपान का पूरा ध्यान रखें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो, जिससे तबियत खराब न हो। इसी तरह, नवजात शिशु को भी स्पेशल केयर की जरूरत होती है। दरअसल, नवजात शिशुओं के लिए बाहरी वातावरण और मौसम बिल्कुल नया होता है। उन्हें बाहरी चीजों के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसे में अगर गर्मी में उनकी अच्छी तरह देखभाल न की जाए, तो उनकी भी तबियत बिगड़ सकती है। इसके अलावा, शिशुओं को रोजाना नहलाने के बजाय कपड़ा गीला कर अच्छे से पोछ दिया जाए। वैसे गर्मी में बच्चे को रोजाना भी नहलाया जा सकता है लेकिन, उसे लंबे समय के लिए पानी में न रखें। ऐसा करने से उसकी तबियत बिगड़ सकती है। गर्मी में उसे रोजाना कम पानी में नहलाएं।
अगर वह 24 घंटे के अंदर 7-8 बार पेशाब करता है, तो इसका मतलब है कि बच्चे को डीहाइड्रेशन नहीं है। डीहाइड्रेशन होने पर बच्चा पेशाब कम करता है। इसके अलावा बच्चे को एसी या कूलर में रख रहें है तो बच्चे को हाइड्रेट रखने के लिए रूम का तापमान भी सही होना चाहिए। कमरे का तापमान 26-28 डिग्री तक रखने की कोशिश करें। कूलर के ठीक सामने शिशु को लगातार न रखें।
डॉ शैलेश सुमन ने बताया कि चिकित्सालय में अप्रैल माह से अबतक गर्मी से बीमार कुल 1950 बच्चों का इलाज किया गया। वर्ष 2022 में अप्रैल से जुलाई में कुल 1720 बच्चों को गर्मियों में आये जिनका उपचार किया गया था। उन्होंने बताया कि गर्मी में बुखार,पीलिया, दस्त, फंगल इंफेशन, आँखों का इंफेशन की समस्या ज्यादा आती है। यदि जन्म के कुछ दिन बाद बच्चे को नीला, पीला, सुस्त या किसी तरह का इंफेशन दिखे तो तुरंत बालरोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
विशेष ध्यान - छह माह के उपर के बच्चों को स्तनपान के साथ तरल पदार्थ और हल्की और थोड़ी मात्रा में ठोस आहार जरूर दें। रात में कभी भी खाली पेट शिशु को न सोने दें। छः माह से ऊपर के बच्चों को लगातार अंतराल पर दूध व अन्य तरल पदार्थ पिलाते रहें। धात्री माताएँ गर्मी में भोजन का ख्याल रखें, क्योंकि माँ के आहार में अंतर होने से बच्चे का पेट खराब हो सकता है।
घरेलू देखभाल- बच्चे को आरामदायक और ढीले कपडे पहनाएं,घर में शिशु को नैपी न पहनाएं। शिशु को गहरी नींद बेहद जरूरी है इसलिए मछरों से बचने के लिए उचित साधन इस्तेमाल करें। गर्मी के मौसम में शिशु की साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें। दिन में कम से कम दो से तीन बार शिशु के कपड़े अवश्य बदले। नहलाने के बाद शिशु को लगाने के लिए टैलकम पाउडर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
साथ ही कोशिश करें की बच्चे को धूप में न लेकर जायें। अगर बच्चों को दस्त एवं उल्टी या बुखार का लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं उचित सलाह लेकर ही उपचार शुरू करें। ध्यान रहें नवजात शिशु के लिए बाल रोग विशेषज्ञ के पास जायें घर के नजदीक किसी भी झोला छाप डॉक्टर के यहां न जायें।

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