जिलाधिकारी मऊ को कोर्ट ने किया तलब

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सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तिथि नियत, जानिए क्या है मामला
मऊ । सिविल जज जूनियर डिविजन कोर्ट नंबर 3 उत्कर्ष सिंह ने एक मामले में सुनवाई के दौरान जवाबदेही का सत्यापन करने के बावत दिए गए आदेश का अनुपालन न किए जाने को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी मऊ को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया। साथ ही उन्हें स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का किन परिस्थितियों में अनुपालन नहीं किया। मामले में सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तिथि नियत किया है।
मामले के अनुसार सिविल जज जूनियर डिविजन कोर्ट नंबर 3 उत्कर्ष सिंह के न्यायालय में मुकदमा नंबर 87 सन 2018 रामलखन बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदि विचाराधीन चल रहा है। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार बजरिए जिलाधिकारी मऊ, एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर को विपक्षी बनाया गया है। मामले में पक्षकारो की ओर से जवाबदेही दाखिल की गई थी। जिस पर वादी की ओर से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि दाखिल जवाबदेही में हस्ताक्षर/ सत्यापन सही व प्रमाणित नहीं है। हस्ताक्षर/ सत्यापन उचित अधिकारी द्वारा नहीं किया गया है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने 1 नवंबर 2019 को विपक्षी संख्या एक उत्तर प्रदेश सरकार को आदेशित किया था कि वह जवाबदेही का सत्यापन करें। लेकिन विपक्षी संख्या एक राज्य सरकार की ओर से आदेश 1 नवंबर 2019 का अनुपालन नहीं किया। जिस पर कोर्ट ने 22 सितंबर 2021 को जिलाधिकारी मऊ को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर जवाबदेही का सत्यापन करने का आदेश दिया। साथ ही उन्हें स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया कि आदेश दिनांक 1 नवंबर 2019 का अनुपालन किन परिस्थितियों में नहीं किया गया। क्यों न उनके विरुद्ध न्यायालय के अवमानना की कार्रवाई की जाए। उक्त आदेश के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जिला जज की कोर्ट मे निगरानी दाखिल की गई। जिसमें जिला जज ने अधिनस्थ न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दिया। जिसपर रामलखन की ओर से उच्च न्यायालय इलाहाबाद में निगरानी दाखिल की गई। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने जिला जज के आदेश को स्थगित कर दिया। तथा सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश दिनांक 22 सितंबर 2021 की पुष्टि करते हुए उसका अनुपालन करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश मे लिखा कि लोक सेवकों को न्यायिक प्रक्रिया को टालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने आदेश मे लिखा कि अगर आदेश का अनुपालन जिलाधिकारी द्धारा किया जाता है तो अवमानना की कार्यवाही शुरू न किया जाय। अगर आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो अवमानना की कार्यवाही शुरू किया जा सकता है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट नंबर तीन उत्कर्ष सिंह ने सोमवार को पुनः जिलाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से 20 अप्रैल को कोर्ट में उपस्थित होकर जबाबदेही सत्यापित करने का आदेश दिया। साथही उन्हें स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया कि आदेश का अनुपालन न करने पर क्यों न उनके विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही की जाय। इस संबंध में जिलाधिकारी अरूण कुमार ने बताया कि अभी मुझे इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिला है।

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