जब वाजपेयी के मुकाबले कल्याण सिंह ने मुलायम सिंह से मिला लिया था हाथ

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लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह का शनिवार की शाम लखनऊ स्थित पीजीआई में निधन हो गया। 89 साल की उम्र में उन्‍होंने अंतिम सांस ली। कल्‍याण सिंह के निधन पर उत्‍तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। राजनीति में कल्याण सिंह का सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा। वह हमेशा से आडवाणी खेमे के माने जाते थे। साल 1999 आते-आते अटल और कल्याण के रिश्ते में कड़वाहट आ गई। कल्याण ने यहां तक कह दिया, 'मैं भी चाहता हूं कि वो पीएम बनें, लेकिन उन्हें पीएम बनने के लिए पहले एमपी बनना होगा'। अटल से अदावत इतनी बड़ गई कि भाजपा को ऊंचाइयां दिलाने वाले कल्याण सिंह को पार्टी से ही निकाल दिया गया।
अटल लखनऊ से लड़े और जीते भी। वह देश के प्रधानमंत्री भी बने। लेकिन कल्याण सिंह की राजनीतिक स्थिति खराब होती गई। कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने दम पर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से लड़ा। राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के चार विधायक चुने गए लेकिन कल्याण सिंह ने बड़े स्तर पर पूरे प्रदेश में भाजपा को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद उत्तर प्रदेश की जमीन पर भाजपा कई वर्षों तक कल्याण सिंह की उथल पुथल का और भाजपा के नाकारा नेताओं की साजिश का शिकार बनी रही। लेकिन इसका फायदा न कल्याण सिंह को मिल पाया न भगवा पार्टी को।
भाजपा और कल्याण सिंह दोनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर चले गए। 2004 में कल्याण सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आमंत्रण पर भाजपा में वापसी तो कर ली लेकिन उनको वो पॉवर नहीं मिली जो मंदिर आन्दोलन के समय उनके पास थी। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। कल्याण सिंह पहली बार बुलंदशहर लोकसभा सीट से संसद पहुंचे। 2007 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा ने कल्याण सिंह के नेतृत्व में लड़ा। कहने को भाजपा ने 2007 में कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो बना दिया लेकिन नाम का, जिसके पास ना तो उमीदवार तय करने की पॉवर थी और ना ही उनके पास प्रदेश का चुनाव प्रबंधन था। इसलिए वो चुनाव में कुछ अच्छा नहीं कर सके। इसके बाद 2009 में फिर से अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मतभेदों के कारण कल्याण सिंह ने भाजपा का दामन छोड़ कर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बढ़ा लीं।
कल्‍याण, की BJP की सोशल इंजीनियरिंग
2009 के लोकसभा चुनावों में एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से मुलायम के सहयोगी से कल्याण सिंह निर्दलीय सांसद चुने गये। फिर 2009 लोकसभा चुनाव खत्म होते ही मुलायम सिंह ने कल्याण से नाता तोड़ लिया। कल्याण सिंह की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोग उनसे नाता तोड़ रहे थे।
2013 में कल्याण सिंह की भाजपा में पुनः वापसी हुई और कल्याण सिंह का परंपरागत लोधी-राजपूत वोट भी भाजपा से जुड़ गया। 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के कहने पर कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा का खूब प्रचार किया। भाजपा ने अकेले अपने दम पर 80 लोकसभा सीटों से 71 लोकसभा सीटें जीतीं। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद कल्याण सिंह को राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सिफारिश पर सितंबर 2014 में राजस्थान का राज्यपाल बनाया। इसके बाद कल्याण सिंह को जनवरी 2015 से अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।

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