यूपी एमएलसी उपचुनाव : कहीं उल्टा न पड़ जाए दांव, सपा को सता रहा यह डर

Youth India Times
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लखनऊ। यूपी में दो सीटों पर एमएलसी चुनाव इस बार नए तरह के दांवपेंच का गवाह बनने जा रहा है। हारी हुई बिसात पर समाजवादी पार्टी ने ओबीसी दलित के सवाल पर अंतरात्मता जगाने का दांव तो चल दिया है, पर पार्टी में इस बात का भी अहसास है कि कहीं यह दांव कहीं उल्टा न पड़ जाए। यह जानते हुए कि संख्या बल पूरी तरह सत्तारुढ़ भाजपा के पक्ष में है, फिर भी अखिलेश यादव ने दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार कर विधायकों के बीच वोटिंग कराने की स्थिति पैदा कर दी है। भाजपा इसे नई परंपरा बता कर सपा की आलोचना कर रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी इसमें कुछ अपने लिए संभावनाएं देख रही है। उसे उम्मीद है कि अंतरात्मा की आवाज पर भाजपा खेमें सेंधमारी कर सकती है, लेकिन आंकड़ों का फासला इतना बड़ा है कि फिर भी पहले से तय नतीजे बदलते दिखते नहीं। सपा खेमे को उम्मीद है कि भाजपा के कुछ विधायक जो किसी न किसी कारणवश नाराज चल रहे हैं, वह क्रास वोटिंग कर सकते हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कुछ दिनों पहले दावा किया था कि भाजपा के 100 विधायक उनके संपर्क में हैं। इस दावे की परख तो इसी एमएलसी चुनाव में हो जाएगी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं, कि अमुमन राज्यसभा या विधान परिषद चुनाव में क्रासवोटिंग तभी हो पाती है जब कोई खास आकर्षण या दबाव के चलते विधायक क्रास वोटिंग कर अधिकृत प्रत्याशी के बजाए दूसरे प्रत्याशी को वोट दे दें। दूसरे आम तौर पर विधायक सत्तापक्ष में क्रासवोटिंग तो कर देते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष का विधायक विपक्ष के प्रत्याशी के लिए क्रास वोटिंग करने की संभावना न के बराबर ही दिखती है। उल्टे हमारे कुछ विधायक इधर-उधर हो सकते हैं। असल में सपा के दोनों प्रत्याशियों ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की जो अपील की है, उसका कोई असर नहीं होने वाला। पर सपा इसे ओबीसी दलित स्वाभिमान से जोड़ कर भाजपा को घेरना चाहती है और 80 बनाम 20 की जंग के मुद्दे को धार देना चाहती है, लेकिन सपा के अपर कास्ट के विधायक इसको लेकर बहुत सहज नहीं दिखते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर विवादित बयान के चलते सवर्ण विधायकों की क्षेत्र में जवाब देना मुश्किल होने लगा। उन्होंने ने केवल दबी जुबान से विरोध जताया साथ, ही अपनी चिंताओं से पार्टी नेतृत्व से अवगत भी करा दिया। अब देखना है कि एमएलसी चुनाव का नतीजा तय होने के भी सियासत किस दिशा में मुड़ती है यह जल्द जाहिर होगा।

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