आजमगढ़ : फाइलेरिया उन्मूलन के लिये मीडिया का सहयोग जरूरी-सीएमओ

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आजमगढ़। आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाले रोग फाइलेरिया उन्मूलन के लिये (आईडीए) यानी सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम जिले में 10 फरवरी से शुरू होगा। फाइलेरिया मुक्ति अभियान के दौरान जिले में 47 लाख लोगों को निर्धारित दवा सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी। अभियान में जिले की कुल 4009 आशा, आशा संगिनी एवं 669 सुपरवाइजर कर्मी घर घर भ्रमण करेंगे। अपनी निगरानी में डीईसी, आइवरमेकटिन व एल्बेंडाजोल यानी (ट्रिपल ड्रग थेरेपी) 6दवा खिलाएंगे। दवा पूरी तरह सुरक्षित है। कुछ लोगों में दवा का मामूली रिएक्शन जैसे उल्टी, खुजली व बुखार आदि हो सकता है। ठीक होने के लिये किसी भी दवा की जरूरत नहीं पड़ती है। आधे से एक घंटे में आराम हो जाता है। ऐसी कई जानकारियां बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित मीडिया वर्कशॉप में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आई एन तिवारी ने दी। उन्होंने कहा कि फाईलेरिया उन्मूलन अभियान की सफलता के लिए समाज और खासतौर पर मीडिया का सहयोग बहुत जरूरी है।
जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी ने फाइलेरिया बीमारी बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम साल में एक बार चलाया जाता है। इसके पूर्व संचालित अभियान की उपलब्धि 70 प्रतिशत रही थी। इस बार 85 प्रतिशत की उम्मीद है। अगर अगले एक दो साल तक अभियान सही ढंग से चला तो जिला फाइलेरिया मुक्त भी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाने के बाद इलाज नहीं है। संक्रमण से बचने के लिये दवा का सेवन कराया जाता हैद्य जिले में हाथीपांव के कुल 370 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उनका रोग ठीक तो नहीं हो सकता लेकिन सूजे हुए पैरों की समुचित देखभाल जरूरी है। जिले के ऐसे रोगियों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक किट भी दिया जाता है। फाइलेरिया की वजह से हुए हाइड्रोसिल का 77 ऑपरेशन हो भी चुके हैं। धन्यवाद विज्ञापन सी एम ओ डॉ आई एन तिवारी ने किया। इस अवसर पर सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार ),विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ,पीसीआई शामिल हुए।

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