मऊ: जिला जज ने विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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प्रचार वाहन से लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत और निःशुल्क कानूनी सहायता के बावत दी गई जानकारी

रिपोर्ट-राहुल पाण्डेय

मऊ। विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रचार वाहन को जिला जज रामेश्वर और प्राधिकरण के सचिव कुवंर मित्रेश सिंह कुशवाहा ने मंगलवार को हरी झंडी दिखाकर दीवानी कचहरी से रवाना किया। प्रचार वाहन जिले के अंदर कस्बों और ग्रामीण अंचलों राष्ट्रीय लोक अदालत और विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं के बावत लोगों को जानकारी देने के लिए रवाना किया गया। तथा लोगों से राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों का निस्तारण कराए जाने की अपील की गई।

जिला जज रामेश्वर ने कहा कि ‘न्याय तक पहुंच’ कानून के नियमों की संकल्पना में आवश्यक तत्वों में से एक है। संवैधानिक परिकल्पना, न्याय को समान आधार पर बढ़ावा देने का प्रावधान है,ताकि कोई  व्यक्ति आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण न्याय से वंचित न रहे। इस लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया गया। जिसमे उन लोगों की विशिष्ट श्रेणियों को सूचीबद्ध किया, जो मुफ्त कानूनी सेवाओं के हकदार होंगे।

विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुवंर मित्रेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि विधि की गरिमा न्याय से है। त्वरित एवं सस्ता न्याय सुनिश्चित किया जाना न्याय प्रणाली के समक्ष सबसे बड़ी समस्या एवं चुनौती है। एक तरफ अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य दलित वर्ग के लोगों की पहुँच न्यायालय तक आसानी से नहीं हो पाती, जिससे उन्हें सामाजिक न्याय उपलब्ध हो सके। वहीं दूसरी ओर न्यायालय में लम्बित वादों की प्रत्येक वर्ष अत्यधिक संख्या में वृद्धि होने के कारण न्याय प्रणाली के द्वारा शीघ्र एवं सस्ता न्याय उपलब्ध कराने की समस्या हो रही है। सुशिक्षित एवं साधन सम्पन्न व्यक्ति अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए क्षमता रखते हैं। परन्तु न्याय प्राप्त करने में उन लोगों को समस्या आती है, जो साधनहीन, निरक्षर, निर्धन एवं कमजोर हैं। सभी नागरिकों को न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39-क में नीति निर्देश सिद्धान्तों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने के उद्देश्य से विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 लागू किया गया। ताकि नारिया, सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समाज के अपवंचित एवं निर्धन व्यक्तियों को इस योजना का लाभ मिले। इसी उद्देश्य से केन्द्र स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय स्तर पर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तहसील स्तर पर तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है। ताकि कोई भी नागरिक आर्थिक अक्षमता या अन्य कारणों से न्याय प्राप्त करने के समान अवसर से वंचित न रह जाये। इस मौके पर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आदिल अफताब अहमद,एडीजे बुद्धिसागर मिश्र, आनंद कुमार सिंह, पंकज मिश्रा, दिनेश कुमार चौरसिया, रामराज, आशिफ इकबाल रिजवी, सीजेएम फर्रुख इनाम सिद्दीकी, एसीजेएम श्वेता चौधरी, वकील,  अमित मणि त्रिपाठी, उत्कर्ष सिंह, शैलेश सिंह, बार के अध्यक्ष विरेंद्र बहादुर पाल, हुमा रिजवी आदि लोग उपस्थित रहे। 

कौन व्यक्ति निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र है-

1- अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के सदस्य।

2-मनुष्यों का अवैध व्यापार किये जाने में आहत व्यक्ति।

3- स्त्रियों अथवा बच्चे।

4- अन्धापन, कुष्ठरोग, एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाने वाले खानाबदोश, बहरापन, दिमागी कमजोरी की निर्याेग्यता से ग्रस्त व्यक्ति ।

5- सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, वर्ग विशेष पर अत्याचार, बाढ़, अकाल, भूकम्प अथवा औद्योगिक आपदा से ग्रस्त व्यक्ति।

6- एक औद्योगिक कामगार ।

7-किशोर अपराधी अर्थात् 18 वर्ष तक आयु के व्यक्ति को सम्मिलित करते हुए, परिक्षणाधीन व्यक्ति जो हिरासत में सुरक्षा गृह अथवा मानसिक अस्पताल अथवा नर्सिग होम में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति।

8- एक ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय रू0 3,00,000/- से कम है।

किन मामलों में विधिक सहायता प्रदान की जाती है-

1- दीवानी प्रकृति के सभी मामले जैसे सम्पत्ति विवाद, वैवाहिक तथा हिरासत के मामले, श्रम अथवा सेवा कानून के मामले, वाहन दुर्घटना के मामलों में मुआवजा तथा उपभोक्ता विवाद इत्यादि।

2- दाण्डिक अपराध में अंतर्ग्रस्त सभी शमनीय मामले।

 3- भारतीय संविधान द्वारा गारंटीशुदा मूल अधिकारों के अतिक्रमण से अंतर्ग्रस्त सभी मामले।

किन मामलों में विधिक सहायता प्रदान नहीं की जा सकती है-

1-मानहानि ।

2- दुर्भावपूर्ण अभियोजन ।

3-अदालत की अवमानना या न्याय प्रणाली में झूठ बोलने वाले व्यक्तियों से सम्बन्धित कार्यवाहियां ।

4- किसी भी चुनाव आदि से सम्बन्धित कार्यवाहियाँ। 

5- आर्थिक अपराधों के विषय में तथा सामाजिक कानूनों के विरूद्ध अपराधों जैसे छुआछूत अथवा जातीय आधार अथवा जातीय पक्षपात के विरुद्ध शिकायतों का प्रतिवाद ।

विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु कैसे आवेदन करें

मऊ। विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए संक्षेप में शिकायत अथवा विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु कारण अभिकथित करते हुये एक लिखित आवेदन के प्रस्तुत करने पर, यदि आवेदक सदस्य अनपढ़ है अथवा लिखने की स्थिति में नहीं है तो विधिक सेवा प्राधिकरण / समिति के सदस्य सचिव अथवा अधिकारी उसके जुबानी निवेदन को रिकार्ड करेंगे तथा उस पर उसका हस्ताक्षर / अंगूठे की छाप लेंगे तथा ऐसा रिकार्ड ऐसे व्यक्ति का आवेदन माना जायेगा।

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