आजमगढ़: महिलाओं को दरकिनार कर बना प्रधानों का जिला संगठन

Youth India Times
By -
0

जिले में 600 के करीब चुनी गई हैं महिला ग्रामप्रधान
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। महिला सशक्तिकरण को ठेंगा दिखाते हुए सोमवार को मंडल मुख्यालय पर नेहरू हाल सभागार में जिला प्रधान संघ का गठन सम्पन्न हो गया। रोचक बात यह कि जिला संगठन के चुनाव में महिला जनप्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखी गई। जबकि जिले में लगभग 600 महिला ग्राम प्रधान निर्वाचित हैं। संगठन में सभी पदों पर पुरुषों का वर्चस्व यह साबित करता है कि लाख सरकारी दावों के बावजूद महिलाओं को आज भी दोयम दर्जा हासिल है।
खचाखच भरे नेहरू हाल सभागार में नैयर आजम को सर्वसम्मति से प्रधान संघ का जिलाध्यक्ष चुने गया। साथ ही प्रमोद राय को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके अलावा संगठन के जितने भी पद थे सभी पर पुरुष प्रधान निर्वाचित किए गए। पूरे समारोह के दौरान समूचे सभागार मे एक भी महिला नहीं दिखाई दी। संगठन ने उन्हें चुनाव से पूरी तरह दूर रखा। इस तरह पद, प्रभुत्व व हिस्सेदारी के बावजूद उनकी अनदेखी समारोह के जरिए उजागर हो गई। गौरतलब है कि महिला सशक्तिकरण के इस दौर मे जब विपक्षी पार्टियां संसद एवं विधानसभा में 40 प्रतिशत तक महिलाओं के भागीदारी की बात कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रधान संघ का तालिबानी रवैया जनमानस को हैरान करने वाला है। जनपद मे समरोहपूर्वक गठित किए गए प्रधान संघ के चुनाव में एक भी महिला को न पदाधिकारी चुना गया और ना ही किसी महिला को संगठन की कार्यकारिणी मे ही जगह मिली है। इस तरह नवगठित जिला कार्यकारिणी पूरी तरह महिला विरोधी साबित हुई है।
बीते पंचायत चुनाव में पूरे प्रदेश में 53.7 प्रतिशत पदों पर महिलाएं ग्राम प्रधान पर पर कब्जा जमाई हैं। ताज्जुब यह कि सूबे में पुरुषों से अधिक महिलाएं चुनाव जीती हैं। आजमगढ़ जनपद की बात करें तो यहां 1800 से अधिक ग्राम पंचायतों में 600 से अधिक सीटों पर महिला ग्रामप्रधान निर्वाचित हुई हैं।बावजूद इसके संघ ने उनके महत्व को कमतर आँका है। इस संबंध में नव गठित संघ से सवाल पूछे जाने पर जिम्मेदार पदाधिकारियों ने अलग महिला शाखा के गठन की बात कही। दूसरी ओर यह भी बताया गया कि संगठन की ब्लाक इकाई मे कोई महिला पदाधिकारी नहीं थी इसलिए जिला कार्यकारिणी में उनको जगह नहीं मिल सकी है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)