आजमगढ़: शारीरिक कष्टों को दूर कर शीतलता प्रदान करती हैं माता शीतला भवानी

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रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। शारीरिक कष्टों को दूर कर शीतलता प्रदान करने वाली माता शीतला भवानी का मंदिर नवरात्र के अवसर पर भक्तों की भीड़ से गुलजार है। मंदिर के आसपास सजी पूजन सामग्रियों की दुकानें और श्रद्धालुओं की भीड़ से यहां मेले जैसा माहौल है। जिला मुख्यालय से 15 किमी पश्चिम दिशा में स्थित एतिहासिक कस्बा निजामाबाद काली मिट्टी से निर्मित नक्काशीदार सामानों के लिए देश-विदेश में सुविख्यात होने के साथ ही माता शीतला मंदिर के लिए भी जाना जाता है। मंदिर क्षेत्र इन दिनों हिंदु धर्मानुसार माता शीतला का स्थान ब्रह्म सत्ता में स्वास्थ्य मंत्री का माना जाता है। क्योंकि क्षेत्र में जब भी महामारी चेचक, खसरे का प्रकोप फैलता है तो उससे राहत के लिए माता रानी को धार व फूल अर्पित कर उन्हें मनाया जाता है। जिससे कि बीमार व्यक्ति को शीतलता प्रदान हो सके। मरीज के स्वस्थ होने पर माता के दरबार में सपरिवार पहुंचकर हलुआ-पूड़ी का भोग लगाने की प्रथा है। इस मंदिर पर वासंतिक एवं शारदीय नवरात्र अवसर के साथ ही पूरे वर्ष भर मेला लगता है। जनपद मुख्यालय से 15 किमी पश्चिम निज़ामाबाद नगर से सटे हुए भैरोपुर ग्राम सभा में स्थित इस मंदिर पर माँ के दरबार में सुबह एवं रात्रि में प्रतिदिन कीर्तन-पूजन भक्तों के द्वारा समपन्न होती है। माता की शयन आरती के बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है। क्षेत्र में मान्यता है कि माता के दर्शन-पूजन से मन शांत रहता है। साथ ही शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। माता की कृपा से परिवार में सभी सदस्य निरोग रहते हैं। माता रानी शीतला के क्षेत्र में रहने वाला प्रत्येक हिन्दू परिवार चाहे वह जीविकोपार्जन के लिए सुदूर प्रदेशो में ही क्यों न रहता हो फिर भी परिवार में किसी भी मांगलिक शुभ कार्य की सम्पन्नता के साथ ही साल में एक बार वार्षिक पूजा के लिए माँ के दरबार में अवश्य हाजिरी लगाता है। देवी स्थान पर मंदिर का निर्माण लगभग 250 से 300 वर्ष पूर्व कराया गया था। पहले यहाँ पलाश के घने जंगल हुआ करते थे। घने जंगलों का अस्तित्व समय के साथ समाप्त हो गया। खाली स्थान पर आस्थावान भक्तों द्वारा कई धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया है। मंदिर की साफ-सफाई व पूजा स्थानीय माली समुदाय के लोग बखूबी निभाते हैं। 90 के दशक में निजामाबाद के तत्कालीन उपजिलाधिकारी अविनाश सिंह के आग्रह पर व्यापारी नेता राकेश पाठक,श्रीप्रकाश चौरसिया,पंकज वर्मा,घनश्याम जायसवाल,पंडित जग्गनाथ सहित तमाम भक्तों द्वारा श्रमदान की शुरुआत की गई जो आज भी निरंतर जारी है। क्षेत्र के व्यवसायी व नगरवासियों द्वारा श्रमदान कर मंदिर का सर्वांगीण विकास किया गया। इसके पूर्व इस स्थान पर सिर्फ माता रानी का मंदिर था। शेष भूमि पर अतिक्रमण व गंदगी का साम्राज्य था, चहारदीवारी का निर्माण कराकर मंदिर को भव्य रूप दिया गया। यह पौराणिक मंदिर जिले के साथ ही पूर्वांचल के जनपदों में स्थित सुप्रसिद्ध देवी मंदिरों में अपना अलग स्थान रखता है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने इस एतिहासिक मंदिर के सुंदरीकरण करने की स्विकृति प्रदान कर दी है।

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