एक मंच पर दिख सकते हैं ओवैसी और अखिलेश

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सुभासपा के स्थापना दिवस समारोह में राजभर कर सकते हैं गठबंधन की घोषणा
मऊ। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से नजदीकी बढ़ाने के बाद आखिरकार सुभासपा प्रमुख ओपमप्रकाश राजभर ने सपा से गठबंधन का संकेत दे दिया। सुभासपा के साथ सपा के गठबंधन की औपरचारिक घोषणा मऊ में सुभासपा के स्थापना दिवस समारोह में 27 अक्टूबर को होने के आसार हैं। स्थापना दिवस समारोह में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आने की संभावना है। एक ही मंच से दोनों पार्टियों के प्रमुख गठबंधन की घोषणा करेंगे। इसके बाद सीटों के बंटवारे पर दोनों दलों के बड़े नेता आगे फैसला करेंगे। दोनों दलों के गठबंधन के बाद सियासी समीकरण बदलने के आसार हैं।
वर्तमान सरकार में सत्ता का स्वाद चख चुके सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को बाद में काफी कड़वे अनुभवों का सामना करने के बाद सरकार से अलग होना पड़ा था। अपने बेबाक बोल के कारण सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर अपनी बातचीत का दायरा ओवैसी की पार्टी, प्रसपा (प्रगति समाज पार्टी) सहित सभी दलों तक खुले रखने का सिलसिला चला रखा था।
चूंकि बसपा प्रमुख मायावती ने सभी 403 विधान सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। इसलिए बसपा को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक दलों से गठबंधन करने का रास्ता खुला रहने की बात ओम प्रकाश राजभर करते रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हुई वार्ता के बाद सपा से गठबंधन को गठबंधन को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत मऊ जिले से ही शुरू की है। पूर्व में रसड़ा विधान सभा के अंतर्गत आने वाले रतनपुरा ब्लॉक में अपनी राजनीतिक गतिविधियों से उन्होंने राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। पिछली बार 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में गठबंधन के चलते भाजपा ने सदर विधान सभा सीट, जिसमें रतनपुरा ब्लॉक के गांव भी शामिल हैं, सुभासपा को दे दी थी।
सदर विधान सभा सीट से ओपी राजभर ने अपने रिश्तेदार महेंद्र राजभर को टिकट दिया था। मोदी लहर के उस चुनाव में भाजपा और सुभासपा के संयुक्त प्रत्याशी महेंद्र राजभर ने माफिया मुख्तार को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि महेंद्र को हार का सामाना करना पड़ा था। लेकिन कांटे की टक्कर की वजह से मुख्तार महज 8698 वोटों से जीत सके थे।
मुख्तार को कुल 96793 (36.62 प्रतिशत) वोट मिले थे, जबकि महेंद्र राजभर को(33.33 प्रतिशत) 88095 मत मिले थे। सपा प्रत्याशी अल्ताफ अंसारी को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था, उन्हें 72016 (27.25 प्रतिशत ) वोट मिले थे। सपा भी इस चुनाव में छोटे दलों की अहमियत को भांपते हुए सुभासपा के साथ गठबंधन की इच्छुक थी।
अब दोनों दलों के बीच गठबंधन होना पक्का हो गया है। जानकारों का कहना है कि इस बार भी अगर सपा और सुभासपा के गठबंधन के बाद कोई प्रत्याशी घोषित होता है तो वह मुख्तार अथवा भाजपा दोनों को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में होगा।

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