उप्र: निवेशकों के छः सौ करोड़ डकार गई अनी बुलियन कंपनी

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अनी बुलियन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने प्लॉट देने और रुपये दोगुना करने के नाम पर की धोखाधड़ी
लखनऊ। अनी बुलियन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने प्लॉट देने और रुपये दोगुना करने के नाम पर निवेश कराकर हजारों लोगों के करीब छः सौ करोड़ रुपये डकार लिया। कंपनी के खिलाफ सिर्फ गोमतीनगर थाने में ही 31 मुकदमे दर्ज हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निवेशकों की कमाई लूटने वाली इस कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी, जिसकी जांच शुरू हो गई है। कंपनी के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लांडरिंग की एफआइआर भी दर्ज हुई है। ईडी लखनऊ में दर्ज हुए चार मामलों की जांच कर रही है। इसके अलावा गोमतीनगर पुलिस की ओर से 12 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। खास बात यह है कि कंपनी के खिलाफ दर्ज किसी भी मामले में अभी तक फाइनल रिपोर्ट नहीं लगी है। ऐसे में स्पष्ट है कि कंपनी ने साजिश के तहत निवेशकों को अपने झांसे में लेकर उनकी मेहनत की कमाई हड़पी है।
लखनऊ में 17 मामलों की विवेचना लंबित-लखनऊ पुलिस की ओर से 17 मामलों की विवेचना लंबित है, जबकि अन्य 12 मामलों में आंशिक विवेचना शेष है। इस पूरे मामले में पांच आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि, अब भी कई फरार हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। इन जिलों के लोगों से सर्वाधिक ठगी-कंपनी के निदेशक अजीत गुप्ता ने सबसे ज्यादा लखनऊ, सुलतानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर में रहने वाले लोगों को अपना शिकार बनाया। इनमें अधिकांश किसान और सेवानिवृत्त कर्मचारी शामिल हैं। कंपनी के खिलाफ सौ से अधिक मामले दर्ज हैं और उसके पास अरबों की संपत्तियां हैं। ईडी कंपनी संचालक की संपत्तियों को अटैच करने की तैयारी में है।
भारतीय विदेश सेवा में तैनात है आरोपित की पत्नी: मुख्य आरोपित अजीत की पत्नी निहारिका सिंह भारतीय विदेश सेवा में हैं। आरोपित पीड़ितों को अपनी पत्नी की बड़े अधिकारियों व नेताओं के साथ फोटो दिखाता था। वह निहारिका को वह कंपनी के कार्यक्रमों में भी बुलाता था। वर्ष 2020 में पीजीआइ थाने में दर्ज एफआइआर में पुलिस ने आरोपित अजीत गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। निहारिका के खिलाफ भी सुलतानपुर और लखनऊ में एफआइआर दर्ज हैं।
जमीन नहीं थी, फिर भी दिखाए सपने-कंपनी ने निवेशकों को मुनाफे का लालच दिया। लोगों से रुपये लेकर शेयर मार्केट और सोने-चांदी की खरीदारी में लगाए। कंपनी के पास जमीन नहीं थी। इसके बावजूद उसने निवेशकों को बेहतर प्लॉट दिलाने का सपना दिखाया। काफी समय बाद जब लोगों को जमीन नहीं मिली तो उन्होंने अपने रुपये वापस मांगने शुरू किए। इसके बाद कंपनी का फर्जीवाड़ा परत दर परत सामने आने लगा।

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