आजमगढ़ : अतरौलिया राजकीय पॉलिटेक्निक कालेज को प्राइवेट हाथों में देने से जनता में आक्रोश

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सरकार का यह कदम गरीबों को उच्च शिक्षा से वंचित रखने की साजिश-संग्राम
आपदा में अवसर का एक और साधन सरकार ने तलाश लिया-चंद्रशेखर
पूजीपतियों को प्रोत्साहन देकर सरकार शिक्षा जगत पर भी करवा रही कब्जा-सुभाष चंद जायसवाल
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज को निजी हाथों में सौंपना सरकार का एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम-जगदीश पाण्डेय
-शुभम मद्धेशिया
अतरौलिया/आज़मगढ़। मकरहा राजकीय पॉलिटेक्निक कालेज को पीपीपी मॉडल से संचालन को लेकर क्षेत्र के लोगों में फैला आक्रोश है। खुले शब्दों में लोगों ने इसे शासन का नाकामी बताया।
बता दें कि अतरौलिया क्षेत्र के मकराना ग्रामसभा में 19 करोड़ की लागत से राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज की वर्ष 2015 में आधारशिला रखी गयी। तत्कालीन उत्तर प्रदेश शासन के मंत्री बलराम यादव तथा क्षेत्रीय विधायक डॉक्टर संग्राम यादव के अथक प्रयासों से मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत कराया गया। उसी समय पूरे पॉलिटेक्निक कॉलेज की रूपरेखा तय कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सरकारी संघ ने इसका निर्माण कराया और मार्च 2021 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। बजट भी उस समय उपलब्ध करा दिया गया था। जब भवन आज पूरी तरह तैयार हो चुका और संचालित करने की बारी आई तो वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत संचालित करने का निर्णय लिया। इसके लिए आरपीएफ कंसेशन एग्रीमेंट के प्रावधानों के अनुरूप निविदा करा कर ऑल इंडिया चिल्ड्रन केयर एंड एजुकेशन रिप्लेसमेंट सोसाइटी के साथ अनुबंध की गयी। जिसके तहत प्रदेश सरकार पालीटेक्निक भवनों को निर्माण कर निजी क्षेत्रों में देगी।
उसके प्रशिक्षणार्थियों के लिए उपकरण मशीन, साज सज्जा की व्यवस्था निजी क्षेत्र के लोग करेंगे। इसकी भनक में लगते ही लोग इसका विरोध करना शुरू कर दिए। लोगों का कहना है कि पीपीपी मॉडल पर पॉलिटेक्निक कॉलेज चलाने से गांव गरीब किसान के बच्चों को उच्च शिक्षा से वंचित रखने का यह एक साजिश है।

इस बावत अतरौलिया विधायक डॉक्टर संग्राम यादव ने कहा कि इस मुद्दे को हमने विधानसभा में उठाया था और विधानसभा में भी इसका विरोध किया था। सरकार का यह कदम गरीबों को उच्च शिक्षा से वंचित रखने की साजिश है। पॉलिटेक्निक कॉलेज पूंजीपतियों के हाथ में जाने से वह मनमाना धन वसूली करेंगे, जिससे ग्रमीण अंचल के गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा सुगमता से हासिल नहीं हो पाएगी।ग्रामीण अंचल में उच्च शिक्षा मिले इसी को ध्यान में रखकर बलराम यादव जी के प्रयास से तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा इस कॉलेज की नीव रखी गई थी।




ब्लाक प्रमुख चंद्रशेखर यादव ने कहा कि आपदा में अवसर का एक और साधन सरकार ने तलाश लिया। गरीबों को शिक्षा से वंचित करने का इससे बड़ा अवसर क्या होगा। ग्रामीण अंचल में बने कालेज में गांव गरीब किसान को उच्च शिक्षा मिलती, मगर पूंजीपतियों के हाथ में सौंप कर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि गांव गरीब किसान के बच्चे को पढ़ेंगे नहीं देंगे।
इस कालेज की नीव ग्रामीण अंचल में इसलिए रखा गया था कि कम फीस में बच्चों को उच्च शिक्षा मिले, मगर सरकार की मंशा ने गरीबो से उच्च शिक्षा पाप्त करने का अवसर भी छीन लिया।

सुभाष चंद जायसवाल चेयरमैन अतरौलिया ने कहा कि मगराहा में नव निर्मित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज को निजी हाथों में सौंपना गरीबों के हितों के साथ खिलवाड़ है। पूजीपतियों को प्रोत्साहन देकर सरकार उन्हें धीरे-धीरे शिक्षा जगत पर भी कब्जा करवा रही है। सरकार की यही मंशा रही तो आने वाले कुछ समय में गांव गरीब किसान के बच्चे शिक्षा से पूरी तरह वंचित हो जाएंगे।



जगदीश पाण्डेय ने कहा कि मगराहा स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज को निजी हाथों में सौंपना सरकार का एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। इस कॉलेज को मकराना में स्थापित करने का मुख्य मकसद ही गांव गरीब किसान के बच्चों को उच्च शिक्षा मिल सके, जो बच्चे पैसे के अभाव में शहरों में जाकर शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाते, उन्हें उच्च शिक्षा देने का यह सबसे सस्ता व सुगम माध्यम था, मगर सरकार द्वारा पूंजीपतियों के हाथ में बेच देने से गांव गरीब किसान की प्रतिभाओं को कुचला जायेगा।

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