500 रूपये में बिकती है वर्दी, 1500 रूपये में अफसर!

Youth India Times
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बरेली। बरेली में पकड़े गए फर्जी दरोगा लाखन सिंह को बिथरी पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया। पूछताछ में सामने आया कि फर्जी दरोगा बनने के लिए उसे महज 15 सौ रुपये खर्च करने पड़े। उसने 500 रुपये की खाकी पैंट और एक हजार रुपये के बादामी रंग के जूते खरीदकर वसूली शुरू कर दी। बुधवार को सैन्य अफसरों ने भी थाना कैंट पहुंचकर उससे लंबी पूछताछ की। ट्रैफिक पुलिस के होमगार्ड राजीव मौर्य की शिकायत पर बिथरी पुलिस ने मंगलवार को सनराइज कॉलोनी निवासी सेवानिवृत्त फौजी लाखन सिंह को गिरफ्तार किया था। वह मूलरूप से अलीगढ़ की तहसील अतरौली के गांव बनूपुरा का रहने वाला है। 
उसके कब्जे से नोएडा से चोरी रक्षा मंत्रालय की प्लेट लगी ब्रेजा कार, पिस्टल और सेना का आईडी कार्ड बरामद हुआ था। वह 19 जून की शाम सादा कपड़ों में डोहरा रोड पर नीली बत्ती लगी कार लेकर कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन के बहाने लोगों से वसूली कर रहा था। वहां उसने ढाबा मालिक मटरू और खोखा चलाने वाले रमेश से पांच-पांच सौ रुपये वसूल लिए थे।
लाखन सिंह की गिरफ्तारी की सूचना पर बुधवार को आर्मी इंटेलिजेंस के साथ ही सैन्य अफसरों ने थाना बिथरी चैनपुर पहुंचकर उससे लंबी पूछताछ की। इस दौरान सामने आया कि वह 17 जाट रेजिमेंट में तैनात था और वर्ष 2014 में मेरठ से रिटायर हुआ था। उसके कब्जे से एक फर्जी अथॉरिटी लेटर भी मिला है, इसमें कार को 17 जाट रेजिमेंट के कार्य में लगा हुआ बताया गया है। इसे लेकर जांच की जा रही है कि आखिर यह पत्र उसे किसने बनाकर दिया। उसके बारे में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड को भी जानकारी दी गई है। साथ ही पुलिस उसकी भर्ती का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है कि उसमें भी तो कोई फर्जीवाड़ा नहीं है। फर्जी दरोगा से बरामद कार नोएडा के कासिफ की है। यह कार वर्ष 2017 में नोएडा के कासना थाना क्षेत्र से चोरी हुई थी और वहां उसकी रिपोर्ट भी दर्ज है। अब पुलिस कार मालिक से संपर्क करने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा लाखन सिंह से दस कारतूसों समेत बरामद पिस्टल का लाइसेंस जम्मू कश्मीर से बनवाया गया है। इसे शस्त्र लाइसेंस के पोर्टल पर भी अपलोड कराया गया है, लेकिन फिर भी पुलिस ने वेरिफिकेशन के लिए जम्मू कश्मीर को ई-मेल भेजा है। इस पर तीन असलहे चढ़े मिले हैं, इनमें पिस्टल, राइफल और दोनाली बंदूक है।
सिविल लाइंस में कई दुकानें ऐसी हैं, जहां पुलिस के चिह्न के अलावा, मोनोग्राम वाला मास्क, वर्दी, जूते-मोजे और बेल्ट समेत सारा सामान बिकता है। यहां से कोई भी सामान खरीदने के लिए न तो किसी अनुमति पत्र की जरूरत होती है और न ही पुलिस कभी ध्यान देती है कि यहां से कौन पुलिस का सामान खरीद रहा है। यहां पुलिस की वर्दी वाले मोजे 50-100 रुपये, वर्दी कपड़े की कीमत के अनुसार, चमड़े के ब्लैक और ब्राउन कलर के जूते एक से डेढ़ हजार रुपये में मिल जाते हैं। पुलिस का कहना है कि ऐसी ही किसी दुकान से उसने पुलिस की वर्दी वाली पैंट और मास्क लेकर वसूली कर दी। फर्जी दरोगा पर आईपीसी की धारा 170 (फर्जी तरह से पद ग्रहण करना), 419 (फर्जी पद ग्रहण करने के बाद धोखा करना), 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करना), 468 (फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग करना), 471 (नकली की जानकारी होने के बावजूद असली बनने की कोशिश), 384 (जबरन वसूली), 411 (चोरी की संपत्ति बरामद होना) के तहत रिपोर्ट दर्ज करके जेल भेजा गया है।

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