बाहुबली उमाकान्त यादव जब पीएसी से किये गये थे सस्पेंड

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पुलिस में जाना चाहता था, भर्ती न होने पर बने थे पीएसी में सिपाही
जौनपुर। जौनपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसने 27 साल पहले जीआरपी कांस्टेबटल की हत्या की थी। उमाकांत यादव के करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उमाकांत पुलिस में जाना चाहता था, लेकिन सिलेक्ट नहीं हो पाया। 1982 में उसने पीएसी में सिपाही के पद पर नौकरी जॉइन कर ली। उसकी तैनाती गोरखपुर रेंज की पीएसी में थी। जुर्म और अपराध के चलते उसको पीएसी से सस्पेंड कर दिया गया। उस वक्त उस पर हत्या का आरोप भी लगा था। उमाकान्त यादव की दहशत न सिर्फ जनता में थी बल्कि सरकारी विभाग में भी लोग उमाकान्त यादव के नाम से डरते थे। 15 साल पहले उमाकान्त जिस इलाके में रहता था वहां की बिजली नहीं कटती थी। बिजली विभाग के लोगों की पिटाई कई बार उमाकान्त के गुर्गों द्वारा की जा चुकी थी। खौफ के चलते बिजली विभाग के लोग उमाकान्त यादव के इलाके की बिजली नहीं कटती थी।
उमाकान्त यादव के ऊपर जौनपुर, आजमगढ़ और लखनऊ में लगभग 77 से ज्यादा क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इन सभी क्रिमिनल केस में हत्या, अपहरण, लूट, सरकारी संपत्ति को नुकसान और धोखाधड़ी जैसे मामले शामिल हैं। 1977 में पहली बार उमाकांत यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। 19 मई 1985 को आजमगढ़ में हनुमान नाम के युवक का अपहरण कर लिया गया था।
अपहरण के बाद हनुमान की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उमाकांत यादव का नाम सामने आया था। 13 दिसंबर 1990 को शाहगंज थाने के अंतर्गत सिधाई क्षेत्र में उमाकान्त के खिलाफ हत्या और लूट के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। 1995 में कांस्टेबल हत्याकांड के मामले में जौनपुर के शाहगंज थाने में उमाकांत यादव के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज हुई थी। उमाकान्त यादव 2004 में जौनपुर की मछलीशहर लोकसभा सीट से बसपा से सांसद चुना गया। सांसद बनने के कुछ दिन बाद उमाकांत यादव आजमगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र के पलिया मापी गांव में जमीन कब्ज़ा कराने के लिए अपने गुर्गों के साथ गया था। रात में जमीन कब्जा कराने के लिए उमाकांत यादव जेसीबी भी ले गया था। लेकिन दूसरे पक्ष के लोग पीछे नहीं हटे। दोनों पक्षों से फायरिंग शुरू हो गई। 1 घंटे तक दोनों पक्षों से ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। किसी तरह अपने लोगों के साथ उमाकांत यादव वहां से जान बचाकर भाग निकला। दूसरे पक्ष के लोगों ने उमाकांत यादव की जेसीबी खड़ी करवा ली। बताते हैं कि आचार संहिता के चलते ज्यादातर असलहे उस वक्त जमा थे। अगर दूसरे पक्ष के पास भी अच्छी संख्या में असली मौजूद होते तो उस रात बड़ी घटना हो सकती थी। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में था। इसी मामले में मायावती ने उमाकांत यादव को अपने आवास के बाहर से गिरफ्तार करवा दिया था।
शाहगंज इलाके की नई सब्जी मंडी के सामने उमाकांत यादव का मकान है। यह प्रॉपर्टी बहुत बड़ी है। आस-पास की बहुत सारी जमीन दूसरे लोगों के नाम हैं। लेकिन जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं करा रहा है। लोगों को डर सताता है कि कभी भविष्य में इस पर कब्जा हो जाएगा। आस-पास की जमीन पर न कोई खेती-किसानी होती है न किसी तरह का काम होता है।
आजमगढ़ में बाहुबली के रूप में उमाकांत यादव 1991 में बीएसपी से खुटहन विधानसभा से विधायक बना। इसके बाद 1993 में वे सपा बसपा गठबंधन से दूसरी बार इसी सीट से विधायक चुना गया। 1996 के चुनाव में सपा बसपा गठबंधन टूटने के बाद उमाकांत यादव बीएसपी छोड़ समाजवादी पार्टी से विधायक बना। 2002 के विधान सभा चुनाव में उमाकांत यादव ने बीजेपी-जदयू गठबंधन से खुटहन से चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा प्रत्याशी शैलेंद्र यादव ललई से हार गया। 2004 लोकसभा चुनाव में उमाकांत यादव जेल बंद रहते हुए एक बार फिर से मछलीशहर से बीएसपी के टिकट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिघ्पाठी को हराकर सांसद बना।

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