आजमगढ़: बेहाल हैं यूक्रेन में फंसे मेडिकल छात्रों के परिजन

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बोले बच्चों को वतन लाने की पहल करे केंद्र सरकार

रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’

आजमगढ़। रूस और यूक्रेन के बीच गुरुवार को शुरू हुए संघर्ष को लेकर यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए जिले के कई छात्रों के परिजन किसी अनहोनी की आशंका से भयभीत हैं। बेहाल परिजनों ने इस मामले में वहां पढ़ने गए बच्चों को वापस देश लाने की पहल हेतु केंद्र सरकार से मांग की है।

अपने देश में मेडिकल की महंगी पढ़ाई की तुलना में विदेशों की ओर सस्ती मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने का आकर्षण जिले के कई छात्र-छात्राओं को विदेशी धरती पर जाने को मजबूर किया। जनपद के तमाम छात्र-छात्रा मेडिकल की पढा़ई करने के लिए यूक्रेन देश में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वर्तमान समय में यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के बाद वहां के बिगड़ते हालात को देख वहां पढ़ने गए छात्र-छात्राओं के परिजनों की धुकधुकी बढ़ गई है। बताते हैं कि इस समय देश के लगभग 20 हजार छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इन मेडिकल छात्रों के परिजन केंद्र सरकार से वहां फंसे बच्चों को वापस अपने देश लाने की पहल करने की मांग कर रहे हैं। यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं में जनपद के भी कई छात्र शामिल हैं। उन बच्चों द्वारा परिजनों को फोन पर दी जा रही जानकारी से परिवार वालों के हलक सूखने लगे हैं। तमाम परिवारों में बच्चों की कुशलता के लिए प्रार्थना का दौर जारी है। बताते हैं कि शहर से सटे बद्दोपुर ग्राम निवासी अनिल विश्वकर्मा का पुत्र विनीत कुमार विश्वकर्मा, हीरापट्टी क्षेत्र के रहने वाले उज्जवल श्रीवास्तव, सरायमीर क्षेत्र की रहने वाली श्रेया यादव तथा सगड़ी तहसील क्षेत्र के खतीबपुर गांव की रहने वाली रेनू यादव के साथ ही जिले के अवनीश यादव के परिजन यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए अपने बच्चों की कुशलक्षेम जानने के लिए लगातार उनके संपर्क में हैं। इन बच्चों के परिजनों का कहना है कि यूक्रेन के बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए।  मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने विदेश गए बच्चों के भविष्य का सवाल है। इसमें तमाम अभिभावकों का कहना है कि इस समय यूक्रेन से एयरलिफ्ट का किराया लगभग दोगुना हो चुका है। इसके बाद भी वहां से हवाई सेवा बंद कर दी गई है, जिसके कारण तमाम बच्चे वहां फंसे हुए हैं। केंद्र सरकार को इस मामले में पहल करते हुए मजबूती से अपनी बात संयुक्त राष्ट्रसंघ या फिर अन्य उचित फोरम पर रखकर विदेश में फंसे बच्चों की वतन वापसी का प्रयास करना चाहिए।

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