आजमगढ़: प्रदेश में गरीबों व निर्बलों की आवाज थे सुखदेव

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राजनीतिक क्षेत्र में जिले की अपूर्णीय क्षति
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व जिले के दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के विधायक रहे सुखदेव राजभर सोमवार की रात लखनऊ स्थित अस्पताल में ईलाज के दौरान चीर निद्रा में सो गए। किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित श्री राजभर का लंबे समय से ईलाज चल रहा था। उनके निधन की जानकारी मिलते ही जिले में शोक की लहर व्याप्त हो गई। उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा मुखिया अखिलेश यादव, भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू समेत अनेक नेताओं ने दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुखदेव राजभर एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि थे। संसदीय नियमों एवं परंपराओं की उन्हें गहरी जानकारी थी। जीवन पर्यंत वह निर्धन व कमजोर वर्गाे के उत्थान के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते थे। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए सुखदेव राजभर के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश अखिलेश यादव ने श्रद्धाजंलि व्यक्त करते हुए कहा कि यूपी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ राजनेता सुखदेव राजभर का निधन अपूरणीय क्षति है।
बताते चलें कि जनपद की लालगंज तहसील अंतर्गत ग्राम बड़गहन निवासी स्व. छांगुर राजभर के घर 5 सितंबर 1951 को जन्मे दिवंगत सुखदेव राजभर ने बीएससी कृषि व एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की थी। उनका विवाह सुमित्रा देवी से हुआ था। एक पुत्र व पांच बेटियों के पिता रहे सुखदेव राजभर वकालत पेशे में रहते हुए अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और वर्ष 1991 में भाजपा की लहर के दौरान भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह को मात्र 24 मतों से पराजित कर पहली बार ग्यारहवीं विधानसभा के सदस्य चुने गए। इस दौरान वह अनुसूचित जाति व जनजाति तथा विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य बनाए गए। वर्ष 1993 में मध्यावधि चुनाव के दौरान वह दूसरी बार 12 वीं विधानसभा के सदस्य बने। वर्ष 1993 में सपा-बसपा के गठबंधन के दौरान वह मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं मुस्लिम वक्फ विभाग के राज्य मंत्री बनाए गए। तत्पश्चात सुश्री मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में वह माध्यमिक व बेसिक शिक्षा विभाग एवं प्रौढ़ शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री पद पर आसीन हुए। वर्ष 1997 से 2002 तक वह विधान परिषद के सदस्य चुने गए। इस दौरान मायावती मंत्रिमंडल में उन्हें ग्राम्य विकास, अंबेडकर ग्राम विकास तथा प्रांतीय विकास दल विभाग का मंत्री बनाया गया। स्व. कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में वह ग्राम विकास एवं लघु सिंचाई विभाग के मंत्री रहे। वर्ष 2002 में वह तीसरी बार 14 वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। सुश्री मायावती ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए संसदीय कार्य तथा वस्त्रोद्योग एवं रेशम उद्योग विभाग का मंत्री बनाया। वर्ष 2002 से 2004 तक वह नियम समिति और कार्य-मंत्रणा समिति के सदस्य रहे। 2007 में वह 15वीं विधानसभा में चौथी बार पहुंचे। इस कार्यकाल में वह विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए। लालगंज क्षेत्र से चार बार विधायक रहे स्व. राजभर विधानसभा सीट सुरक्षित हो जाने पर वह 2012 में दीदारगंज क्षेत्र से चुनाव में भाग्य आजमाए लेकिन सपा के आदिल शेख से चुनाव हार गए। 2017 में उन्होंने इसी सीट पर आदिल शेख को पराजित किया। अपने जीवन के आखिरी समय में उन्होंने विधानसभा में दीदारगंज क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतिम सांस ली।

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