रेलवे पुलिया में मिट्टी भर जाने के कारण क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांव की सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि जलमग्न

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रिपोर्ट—अशोक जायसवाल
बलिया। रेल अधिकारियों की लापरवाही ने किसानों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। जनपद के बिल्थरारोड-सौनौली राजमार्ग पर उभाव गांव के समीप रेल अंडर पास के रेलवे पुलिया में मिट्टी भर जाने के कारण क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांव की सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि जलमग्न है, जिसके चलते संबंधित गांव के किसानों की फसल की बुआई सम्भव नहीं है। अपने खेतों की इस स्थिति से किसान परेशान हाल हैं। भारी बरसात होने के चलते खेतों 
की स्थिति और भी दयनीय बनी हुई है।
सोनौली - बलिया मार्ग पर स्थित रेलवे पुलिया के गड्ढे से होकर बिल्थरारोड के आधा दर्जन गांवों का पानी घाघरा नदी में चला जाता है। वर्तमान समय में उक्त गड्ढा मिट्टी से बंद हो गया है। गढ्ढे के मिट्टी से भर जाने से इस मर्तबा हो रही बरसात का पानी नदी में जाने से अवरुद्ध हो गया है। जिससे किसानों के खेत पानी से लबालब भर चुके हैं। रेल विभाग द्वारा यदि रेलवे पुलिया को साफ करा दिया जाता तो खेतों का सारा पानी नदी में चला जाता और किसान अपने खेतों में फसल की पैदावार कर सकते।इसको लेकर सलेमपुर लोकसभा सांसद रविंद्र कुशवाहा ने कई बार मौका मुवायना कर रेलवे के उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। नाला नहीं खोले जाने से किसानों हैरान परेशान हैं। बता दें कि बलिया-सोनौली राजमार्ग पर उभाव गांव के पास रेलवे द्वारा पुलिया का जीर्णोद्धार कराया गया था। रेलवे के किड़िहरापुर - गोविंदपुर स्टेशन की तरफ से रेलवे लाइन के किनारे से आने वाला बरसाती पानी पुलिया के नीचे बने नाले के रास्ते घाघरा नदी में चला जाता है। वर्तमान समय में उक्त पुलिया मिट्टी से भर चुकी है। रेलवे पुलिया के निर्माण के बावजूद रेल अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के किसानों की गुहार के बावजूद उक्त नाले को नहीं खोला गया। जिसके चलते किड़िहरापुर -गोविंदपुर की तरफ से आने वाला बरसाती पानी नाला बंद होने के चलते नदी में न जाकर गांव की तरफ मुड़ गया है। जिससे बांसपार बहोरवा, तिरनई, बहोरवा खुर्द, नोनिया पुरा, मुबारकपुर, तिरनई खुर्द आदि आधा दर्जन गांवों की सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि पानी में डूब गई है। सलेमपुर सांसद कुशवाहा द्वारा पिछले वर्ष नाले को खोलने के संबंध में डीआरएम वाराणसी तथा तत्कालीन जिलाधिकारी बलिया को पत्र लिखा गया था, परन्तु विभाग व उच्चाधिकारियों द्वारा इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इस वर्ष भी बरसाती पानी से खेतों के भर जाने से किसानों में काफी आक्रोश है। हालात यह है कि यदि रेल विभाग द्वारा शीघ्र नाला का मुंह नहीं खोला गया तो वे कभी भी किसानों के कोपभाजन का शिकार हो सकते हैं। तिरनई गांव के प्रधान प्रतिनिधि रामानंद राजभर ने भी किसानों की इस परेशानी से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। प्रवीण गुप्ता, दया राजभर, प्रमोद मद्देशिया, साहब अहमद,शादाब, नियाजी, भोला यादव, रब्बानी, महमूद, पप्पू भाई, दिलीप गुप्ता, दिनेश गुप्ता, गुलाब चंद गुप्ता, दीप चंद गुप्ता, शाहिद आदि ने भी किसानों के भविष्य को देखते हुए उक्त नाले की सफाई की मांग की है।

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