जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी का आदेश

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लखनऊ। तीन जुलाई को होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों को देखते हुए सभी जिलों में पुलिस बल अलर्ट मोड में रहे। गड़बड़ी करने वाले अराजक तत्वों के साथ पूरी सख्ती की जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन जुलाई को होने वाले प्रयागराज जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के मतदान व मतगणना की वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने सपा प्रत्याशी मालती यादव की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। सपा प्रत्याशी मालती यादव ने मतदान व मतगणना की वीडियोग्राफी कराने की मांग में याचिका दाखिल की थी। उनके अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार पांडेय का कहना था कि मतदान के दौरान गड़बड़ी की जा सकती है इसलिए वीडियोग्राफी कराई जाए। जबकि राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता तरुण अग्रवाल का कहना था कि सरकार ने पहले ही इसके लिए शासनादेश जारी किया है। यह याचिका व्यर्थ में दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि मतदान व मतगणना की वीडियोग्राफी की जाएगी। इस पर कोर्ट ने इसी आदेश के साथ याचिका निस्तारित कर दी।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराने का आदेश दिया है। न्यायालय ने इस सम्बंध में अगली सुनवाई के पूर्व रिपोर्ट भी तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने सीतापुर से समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी अनीता की याचिका पर पारित किया। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके कालिया व अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया ने दलील दी कि सत्ताधारी दल की प्रत्याशी श्रद्धा सागर के पक्ष में चुनाव प्रभावित करने के लिए अन्य प्रत्याशियों पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है। प्रत्याशियों व उनके रिश्तेदारों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं। याची की तरफ से आशंका व्यक्त की गई कि इन परिस्थितियों में निष्पक्ष चुनाव होना सम्भव नहीं है। मांग की गई कि न्यायालय की ओर से एक ऑब्जर्वर की तैनाती की जाए जो पूरे चुनाव प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करे।
याचिका पर जवाब देते हुए चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि एक आईएएस अधिकारी सुशील कुमार पटेल को ऑब्जर्वर नियुक्त किया जा चुका है व 25 जून को ही एक आदेश पारित करते हुए चुनाव प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने के आदेश आयोग द्वारा दे दिये गए हैं। आयोग की ओर से भरोसा दिलाया गया कि चुनाव को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से पूरी सख्ती से निपटा जाएगा। हालांकि याची के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि कागज पर जरूर सभी कार्यवाहियां की गई होंगी लेकिन प्रश्न है कि जमीनी स्तर पर इनका कितना अनुपालन किया जा रहा है। वहीं भाजपा प्रत्याशी की ओर से पेश अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने दलील दी कि चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रखे बिना ही वर्तमान याचिका दाखिल कर दी गई है। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उपरोक्त आदेश पारित किये, साथ ही यह भी कहा है कि वह चुनाव प्रभावित करने के मुद्दे पर सुनवाई कर सकती है।

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