जेल के खेल में सरकार और प्रशासन फेल

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गैंगवार होने के बाद जागता है एडमिनिस्ट्रेशन

लखनऊ, 15 मई। जेल में चल रहे खेल को रोकने में सरकार और जेल प्रशासन फेल है। अपराधियों और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की दुरभिसंधि के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाली उत्तर प्रदेश की जेलों का खेल आज एक बार फिर बहस का सबब बन गया है। करीब तीन साल पहले बागपत की जेल में माफिया डॉन और विधायक मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ समझे जाने वाले खूंखार अपराधी मुन्ना बजरंगी को जेल के भीतर पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर सुनील भाटी ने गोलियों से छलनी कर दिया तो राज्य सरकार ने तमाम बदलाव की कवायद शुरू कर दी थी। आज भी जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। बिल्कुल उसी तर्ज पर उससे ज्यादा सनसनीखेज कांड चित्रकूट की जेल में हो गया, जहां सुबह सबेरे ही एक अपराधी ने दो अपराधियों को गोलियों से छलनी कर दिया और थोड़ी देर बाद खुद पुलिस की गोली से मारा गया। बागपत और चित्रकूट जेल की घटनाओं मे कुछ समानता है। यह कि दोनों कांड में जेल के भीतर नाइन एमएम पिस्टल जैसे घातक हथियार का इस्तेमाल किया गया और अपराधी के हाथों मारे गए अपराधी माफिया सरगना मुख्तार अंसारी से नजदीकी जुड़े हुए हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और छात्र राजनीति करते करते अपराधी बना सीतापुर का अंशु दीक्षित हत्या, अपहरण और पुलिस पर जानलेवा हमले सहित दर्जनों जघन्य आपराधिक घटनाओं में शामिल बताया जाता है। उसने जेल में ही पिस्टल का इंतजाम किया, जाहिर है कि किसी ऐसे अंदर वाले ने ही मदद की जिसकी तलाशी नहीं होती यानि कि किसी स्टाफ ने। सबेरे करीब नौ बजे उसने मुकीम काला और मेराजुद्दीन उर्फ भाई मेराज पर ताबड़तोड़ फायरिंग की और दोनों मौके पर ही मारे गए। पुलिस के मुताबिक अंशु ने पांच अन्य बंदियों को अपने कब्जे में लेकर मारने की धमकी दी। थोड़ी देर बाद पुलिस जेल में घुसी और वह मारा गया। अंशु दीक्षित करीब दो साल से इसी जेल में बंद था जबकि मेराज इसी साल 20 मार्च को वाराणसी और मुकीम काला अभी हफ्ते भर पहले महराजगंज जेल से यहां ट्रांसफर किए गए थे। खबर लखनऊ पहुंची और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडलायुक्त-आईजी पुलिस सहित छह अफसरों की तीन बनाकर छह घण्टे के भीतर रिपोर्ट तलब की है। खूंखार अपराधी ने दुर्दांत अपराधियों को जेल के भीतर मार डाला और खुद पुलिस की गोली से मारा गया, तीनों का लंबा चैड़ा खूनी इतिहास था, इसके आपराधिक पक्ष की विवेचना चाहे जब एवं जिस निष्कर्ष पर पहुंचे लेकिन इतना साफ है कि राज्य में जेलों के भीतर चलने वाले खेल जल्द खत्म होने वाले नहीं हैं। पहले जेलों की प्रशासनिक कमान आईएएस अधिकारियों के हाथ में होती थी। वर्षों पहले बड़े बदलाव के तहत इसके मुखिया भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बनाए जाने लगे।
पिछले पन्ने पलटे तो दबा लेंगे दाँतो तले अंगुली-लखनऊ जेलों में आए दिन सनसनीखेज घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। बीते कुछ वर्षों की पत्रावलियों को पलटे तो जेल प्रशासन खुद दाँतो तले अंगुली दबा लेगा। हुकूमत कोई रही हो जेल में शायद हुकूमत जस की तस रहती है। जून, 2018- इटावा जेल में जेलर से परेशान, दो कैदियों ने डाई पीकर किया जान देने का प्रयास किया। मार्च, 2017-फतेहगढ़ जेल में भी कैदियों ने जमकर आगजनी की।इसके साथ ही दो बंदीरक्षकों को बंधक बना कर रखा। दूसरे गेट से भी कोई अधिकारी अंदर नहीं जा रहा था। मार्च, 2017- मैनपुरी जेल से होली के दिन जेल से तीन कैदी फरार हो गए. त्योहार का फायदा उठाकर उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया. पलायन को लेकर कोई इनपुट पुलिस के पास नहीं था। अप्रैल, 2016- वाराणसी जेल पर कब्जा कर कैदी खुद ही जेलर बन गए थे. कैदियों ने पहले जमकर मारपीट की और फिर जेलर को अपने कब्जे में लेकर जेल के अंदर ही बंधक बना लिया।
जून, 2016- मुजफ्फरनगर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे चंद्रहास की उसके साथी कैदियों ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी।
अप्रैल, 2016- आजमगढ़ की अति सुरक्षित मानी जाने वाली जेल से तीन कैदी फरार हो गए. दो साल पहले हुई पुजारी की हत्या में तीनों यहां बंद थे।
मई 2015- हाई सिक्योरिटी मानी जाने वाली आजमगढ़ जेल से 58 मोबाइल बरामद हुए थे। ’जनवरी, 2015- मथुरा की जेल में पहले गैंगवार हुआ, इसके बाद परिजन बनकर आए बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर जेल से अस्पताल ले जाए जा रहे राजेश टोंटा को भून दिया।  ’मार्च, 2010- उरई जिला जेल में कैदियों के दो गुटों में संघर्ष, देशी बम फेंके जाने से दो कैदियों की मौत, डिप्टी जेलर सहित 16 लोग घायल हो गए। ’जुलाई, 2010- मेरठ के अब्दुल्लापुर जेल से मंगलवार को 9 कैदी फरार हो गए। ’जून, 2010- मथुरा जेल से 11 कैदी फरार हुए।
जेल विभाग के कई अफसरों का तबादला-लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार ने चित्रकूट जेल में हुई घटना के बाद जेल विभाग के कई अफसरों का तबादला कर दिया है।चित्रकूट जेल के सुपरिटेंडेंट और जेलर को सस्पेंड करने के साथ ही नये अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है। अब संजीव त्रिपाठी को डीआईजी कारागार प्रयागराज के साथ अयोध्या परिक्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार सम्भालने को कहा गया है। वहीं शैलेंद्र कुमार मैत्रेय डीआईजी कारागार मुख्यालय बनाये गए हैं। अशोक कुमार सागर जेल अधीक्षक चित्रकूट बनाये गए हैं। दूसरी तरफ सीपी त्रिपाठी को कारापाल चित्रकूट जिला जेल के पद पर तैनात किया गया है।

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