अब्दुल्ला आजम की रिक्त सीट पर जारी कर दी विधायक निधि

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अफसरों ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल की सिकंदरा विधानसभा सीट को रिक्त दिखाकर विधायक निधि आवंटित न करने का कर दिखाया कारनामा 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के अफसरों ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल की सिकंदरा विधानसभा सीट को रिक्त दिखाकर विधायक निधि आवंटित न करने का कारनामा कर दिखाया है। मंत्री के क्षेत्र की विधायक निधि पूर्व मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम को अयोग्य ठहराए जाने से रिक्त हुई रामपुर की स्वार विधानसभा क्षेत्र को आवंटित कर दी गई। रामपुर व कानपुर देहात के अफसरों के खुलासे के बाद इस गलती पर हड़कंप मचा। आनन-फानन संशोधित आदेश से स्वार सीट का आवंटन निरस्त कर सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र को जारी किया गया।
शासन का ग्राम्य विकास विभाग विधायक निधि का आवंटन करता है। कोविड महामारी से पिछले वित्त वर्ष में विधायक निधि आवंटित नहीं की गई। वित्त वर्ष 2021-22 में निधि की पहली किस्त का सामूहिक आवंटन 12 अप्रैल के शासनादेश के जरिए किया गया। प्रति विधानसभा क्षेत्र 1.5 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की गई। अन्य जिलों की तरह यह आदेश कानपुर देहात और रामपुर पहुंचा तो अफसर हतप्रभ रह गए। परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण कानपुर देहात के मुताबिक शासन ने सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र को रिक्त दिखाते हुए धन का आवंटन नहीं किया। जबकि, विधानसभा क्षेत्र सिकंदरा रिक्त नहीं है। यहां से राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल विधायक हैं। उन्होंने शासन से सिकंदरा को धनराशि जारी करने का आग्रह किया।
दूसरी ओर, रामपुर जिले के अफसर अचंभित थे कि स्वार की सीट रिक्त होने के बावजूद किस तरह धनराशि आवंटित हो गई। लिहाजा रामपुर के परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण ने शासन को स्वार के लिए आवंटित धनराशि निरस्त करने का आग्रह किया। दोनों जिलों की रिपोर्ट आने के बाद बताया जा रहा है कि विभाग ने पूरी स्थिति को स्पष्ट करते हुए गलती का सुधार कर दिया है। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास के. रविन्द्र नायक ने रामपुर की स्वार विधानसभा क्षेत्र के लिए जारी निधि का आवंटन निरस्त कर सिकंदरा को जारी कर दिया है। आनन-फानन गलती तो सुधार ली गई, लेकिन सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर यह गलती हुई कैसे? क्या विभाग के जिम्मेदार अफसरों को सरकार के मंत्रियों तक के बारे में कोई संवेदनशीलता नहीं है? क्या वे लगातार चर्चा में रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रति भी सजग नहीं रहते? फाइलों की स्वीकृति की लंबी चेन होने के बावजूद शासन में किसी स्तर पर यह चूक क्यों नहीं पकड़ी गई? इन सवालों का जवाब देने से अफसर बच रहे हैं।

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