आजमगढ़: सूत्रधार रंगमंडल की अपनी प्रस्तुति फणीश्वर नाथ रेणु कृत पहलवान की ढोलक का सफल मंचन

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आजमगढ़ 5 मार्च। सूत्रधार आजमगढ़ द्वारा विगत 3 मार्च से आयोजित 16वें आजमगढ़ रंग महोत्सव में आज आखिरी शाम सूत्रधार रंगमंडल की अपनी प्रस्तुति फणीश्वर नाथ रेणु कृत पहलवान की ढोलक का सफल मंचन ममता पंडित के निर्देशन में किया गया। यह कहानी एक पहलवान की है जिसे कुश्ती लड़ने का बहुत शौक है वह और उसके दो बेटे दिन-रात अखाड़े में रहा करते हैं वहां के राजा ने उन्हें मदद दे रखा है।वे रोज पौस्टिक भोजन करते हैं और जमकर व्यायाम करते हैं जिससे वह काफी है बन जाते हैं पहलवान के नाम की धूम मची हुई है कि अचानक एक दिन राजा जी का देहांत हो जाता है उनके उत्तराधिकारी पुत्र की नजर में अखाड़े बाजी और दंगल सब फालतू की गतिविधियां है पहलवान व उनके बेटे को मिलने वाले राजा आश्रय को राजा के उत्तराधिकारी बंद कर देते हैं पहलवान को जीवन में पहली बार जीवन का यथार्थ का एहसास होता है पहलवान अपने दो पुत्रों के साथ दंगल का स्कूल खोल देता है जहां वह गांव गिराव के बच्चों को कुश्ती के दांव पर सिखाता है पर धीरे-धीरे बच्चों की रुचि कुश्ती में नहीं रह जाती अंततः बस सिर्फ अपने दो बेटों को ही सीखा रहा होता है फिर गांव में हैजा फैल जाता है एक एक कर गांव में रोजाना मौतें शुरू हो जाती है धीरे-धीरे पूरा गांव ऐसे के प्रकोप से घीर जाता है पहलवान के दोनों बेटे भी काल के शिकार होते हैं लेकिन इस अत्यंत दुख की घड़ी में भी पहलवान अपने प्रिय ढोलक बजाने की आदत को नहीं छोड़ता वह पूरी रात ढोलक बजाता रहता है सुबह होने पर ढोलक की आवाज नहीं सुनाई देती पता चलता है सियारों ने उसकी जांघ और पेट को फाड़ खाया है और उसके ढोलक के चाम को भी। कहानी आज के परिवेश में पूरी तरह से प्रासंगिक है बदलते हुए मूल्य और संस्कारों जीवन के रहन-सहन ने कलाओं व खेलकूद के प्रति अपनी रुझान कम की है जिसका असर पहलवान व उसके बेटों पर पड़ना लाजमी है अपने रचनात्मक प्रायोगिक निर्देशन से ममता जी ने एक उम्मीद जगाई है 40 मिनट की प्रस्तुति मैं पुनीत यादव सूरज यादव और सत्यम पांडे ने मुख्य भूमिका निभाई है इसका प्रकाश किया है भारतेंदु नाट्य अकेडमी से स्नातक हरकेश मौर्य व संगीत रितेश रंजन का इस अवसर पर डॉ अतुल गुप्ता डॉ नितेश यादव डॉ खुशबू सिंह डॉक्टर सीके त्यागी डॉ दीपक पांडे प्रिया पांडे प्रियंका पांडे कंचन मौर्या अरुण मौर्य आदि गणमान्य लोग मौजूद थे।

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