आजमगढ़: महाशिवरात्रि को लेकर गौरीशंकरघाट शिवालय में किया जा रंग रोगन

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आजमगढ़। महा शिवरात्रि को लेकर शिवालयों की साफ-सफाई और सजावट का काम तेज हो चला है। शिव सेवा समिति द्वारा महा शिवरात्रि की तैयारी को लेकर गौरीशंकर घाट स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर की साफ-सफाई व रंग रोगन का कार्य आस्थापूर्वक किया जा रहा है। बता दें कि समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस बार भी महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां आपसी सहयोग से जोरों पर शुरू कर दी गई है। महा शिवरात्रि के मौके पर शहर के प्राचीन गौरीशंकरधाट पर द्वादश ज्योतिर्लिंग मन्दिर पर शाम 5 बजे से शिव श्रृंगार का मनोहर रूप पुष्प द्वारा समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा शिव सेवा समिति के व्यवस्थापक पंकज पाण्डेय दे दी ।प्रस्तुत भंवरनाथ, शंकर जी तिराहा, सिधारी शंकर जी तिराहा स्थित शिवालय पर भी हजारों शिवभक्त पूजा-अर्चना करेंगे। इन मंदिरों की साफ-सफाई का काम तेजी से चल रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनायी जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 11 मार्च 2021 दिन गुरूवार को किया जाएगा। यह दिन शिव और शक्ति के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत शुभ माना गया है। 
इस दिन भक्त विधि-विधान के साथ भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु पूजा आराधना की जाती है। शिवरात्रि पर रात्रि जागरण कर भगवान शिव की पूजा चारों प्रहर करने का विधान है। तो चलिए जानते हैं पूजा करने का समय, महत्व और पूजा विधान।
महाशिवरात्रि 2021 तिथि और का शुभ मुहूर्त- महाशिवरात्रि पर्व दिन बृहस्पतिवार 11मार्च 2021 को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि आरंभ- 11मार्च 2021 दिन बृहस्पतिवार 02 बजकर 39 मिनट से। चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च 2021 दिन शुक्रवार को शाम 03 बजकर 02 मिनट पर।


रात्रि में पूजा का समय-रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- 11 मार्च को 06 बजकर 27 मिनट से लेकर 9 बजकर 29 मिनट तक। रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- 11 मार्च को 9 बजकर 29 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक। रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - रात को 12 बजकर 31 मिनट से लेकर 03 बजकर 32 मिनट तक। रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- रात 03 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 34 मिनट तक।
महाशिवरात्रि का महत्व-इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि शिव-शक्ति के मिलन के इस पावन पर्व पर व्रत और पूजन करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याओं का निदान होता है। इसके लिए पति-पत्नी दोनों को व्रत करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत रखने से मनचाहे वर की भी प्राप्ति होती है। यदि किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो महाशिवरात्रि का व्रत बेहद शुभफलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का क्षरण होता है। महाशिवरात्रि पर पूरी निष्ठा के साथ व्रत करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
पूजा विधि-महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें। यदि मंदिर जा सकतें हैं तो भगवान शिव का पवित्र जल या दूध से अभिषेक अवश्य करें। भगवान शिव का चंदन से तिलक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरे के फूल, धतूरा, मांग आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के सबसे अंत में पश्चात भगवान शिव की आरती करें। पूजा के बाद शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र या शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इस दिन रात्रि जागरण करते पूजन किया जाता है। इसके बाद पारण मुहूर्त में महाशिवरात्रि के व्रत का पारण करें।



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